Uttarakhand Police रुद्रपुर साइबर थाना पुलिस ने बीएसएफ के रिटायर्ड इंस्पेक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 60 लाख रुपये हड़पने वाले फर्जी सीबीआई अधिकारी को हरियाणा के गुड़गांव गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी ने रिटायर्ड इंस्पेक्टर को व्हाट्सएप कॉल कर मनी लांड्रिंग में फंसाने का डर दिखाकर 16 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखा था। पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है।
पुलिस को ठगने वाला फर्जी अफसर अरेस्ट Uttarakhand Police

एसटीएफ के एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि नैनीताल जिले के बेतालघाट निवासी सेवानिवृत्त बीएसएफ इंस्पेटर ने बीते जुलाई में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज कराया था। उनका कहना था कि उनके मोबाइल पर अनजान नंबर से कॉल आया था। कॉलर ने खुद को महाराष्ट्र साइबर क्राइम और सीबीआई का अधिकारी बताया था। कॉलर ने उनके नाम पर खुले बैंक खाते में मनी लांड्रिंग से 68 करोड़ रुपये का लेनदेन होने की बात कही थी। इसके बाद उनके सभी बैंक खातों, संपत्ति का सत्यापन करने के लिए व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल किया गया।

उनको डिजिटल अरेस्ट करते हुए 16 दिनों में विभिन्न खातों में 60 लाख रुपये ट्रांसफर कराए गए थे। इस मामले में केस दर्ज करने के बाद टीम ने दस्तावेजों की जांच की और आरोपी को चिह्नित किया था। शुक्रवार को इंस्पेक्टर अरुण कुमार की अगुवाई वाली टीम ने ग्राम गोहाना, रजियावास, थाना जेवाजा, जिला अजमेर, राजस्थान निवासी कमल सिंह को न्यू कॉलोनी गुडगांव हरियाणा से गिरफ्तार किया। उसके पास से एक मोबाइल फोन व दो सिम कार्ड बरामद हुए हैं।
आपको भी इस झांसेबाज़ी से सावधान रहने की ज्यादा जरुरत है क्योंकि आजकल ऐसे फ्रॉड कॉल और मैसेज अक्सर लोगों के मोबाईल और सोशल मीडिया एकाउंट्स पर खूब आ रहे हैं जो आपको बड़ी चपत हैं। इसलिए आपको समझना होगा कि डिजिटल अरेस्ट आखिर है क्या ? डिजिटल अरेस्ट एक साइबर धोखा है जिसमें धोखेबाज़ खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं और पैसे की मांग करते हैं। इस घोटाले में, वे पीड़ितों को वीडियो कॉल पर रखते हैं और उन्हें नकली पुलिस स्टेशन का सेटअप दिखाते हैं, ताकि उन्हें यह विश्वास दिलाया जा सके कि वे सच में कानूनी मुसीबत में हैं। इसके बाद, वे मनी लॉन्ड्रिंग, कर चोरी या ड्रग तस्करी जैसे गंभीर अपराधों के झूठे आरोप लगाकर पैसा ऐंठने की कोशिश करते हैं।

धोखेबाज़ों का तरीका:
वे खुद को पुलिस, सीबीआई या किसी सरकारी अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं।
वे पीड़ितों को वीडियो कॉल (जैसे स्काइप या व्हाट्सएप) पर लेते हैं और एक नकली पुलिस स्टेशन का बैकग्राउंड दिखाते हैं।
वे पीड़ितों पर गंभीर अपराधों में शामिल होने का झूठा आरोप लगाते हैं।
घोटाले का उद्देश्य: पीड़ितों को डराकर और उनके मन में डर पैदा करके उनसे पैसे ऐंठना।
पीड़ितों से अपनी मांगें पूरी कराने के लिए उन पर दबाव बनाना।
सुरक्षा के उपाय: कभी भी किसी भी कॉल पर अपनी निजी जानकारी जैसे आधार नंबर, बैंक विवरण या ओटीपी साझा न करें।
धोखाधड़ी वाले कॉल या संदेशों की रिपोर्ट करें।
याद रखें कि वास्तविक अधिकारी कभी भी फ़ोन या ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से पैसे नहीं मांगेंगे।

