देहरादून से अनीता तिवारी की विशेष रिपोर्ट —
Uttarakhand Politics उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष सौरभ गांगुली में एक बड़ी समानता है। ये गौर से समझने की आवश्यकता है , हम यह तुलना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सीम धामी को न सिर्फ एक शार्प और होशियार नेता माना जा रहा है बल्कि उनके राजनीतिक शार्टस और पॉलिटिकल दांवपेच अक्सर उन्हीं के लोगों को हैरान कर देते हैं।
Uttarakhand Politics ऑल इज़ वेल , बट नॉट रियली वेल टू

- Uttarakhand Politics बीते 30 दिनों की बात करें तो उत्तराखंड की गर्म हवाएं अब शांत हो चुकी है। राजनीतिक उथल-पुथल और कयासबाजी का बाजार भी ठंडा पड़ चुका है… अब कोई नहीं कह रहा है कि कैबिनेट विस्तार और दायित्व की लिस्ट कब बाहर आएगी , अब कोई नहीं कह रहा है कि मंत्री हटाए जाएंगे या विधायकों में मनमुटाव क्यों चल रहा है। हां यह अलग बात है कि कभी-कभी पार्टी के अंदर के ही पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयान सीएम धामी के लिए थोड़ा असहज करने वाले हो जाते हैं।

- Uttarakhand Politics अब लौटते हैं सौरव गांगुली और पुष्कर सिंह धामी के समानता वाले मामले पर , दरअसल जिस तरह से सौरव गांगुली ने अपनी कप्तानी के दौर में तमाम नए खिलाड़ियों को मौका देते हुए उन्हें खुद को साबित करने का भरपूर समय दिया था। कुछ वैसा ही पहाड़ की सरकार में समानता दिखती है। भले ही टीम पर सवाल उठे या किसी टीम मेंबर पर विवाद हो जाये , लेकिन उसे सौरव गांगुली ने अपनी कप्तानी में पूरा मौका दिया था , यही वजह है कि उस दौर में तमाम अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने विश्व स्तर पर अपनी धाक जमाई थी और दादा की जमकर तारीफ भी हुई थी।
- कुछ ऐसा ही है उत्तराखंड के सीएम धामी का राजनीतिक दांव पेच …. बीती दिवाली से पहले यह खबर मीडिया में सबसे ज्यादा सुर्खी बटोर रही थी कि यूकेएसएससी भर्ती घोटाला और विधानसभा भर्ती घोटाला सामने आने के बाद कुछ वीवीआईपी पर गाज गिरेगी उन्हें हटाया जाएगा और नए विधायकों को कैबिनेट में शामिल करते हुए खाली पड़े पदों पर भी नए मंत्री बनाए जाएंगे।

- Uttarakhand Politics इसके लिए जोड़-तोड़ और दिल्ली के दौर भी शुरू हो गई थी लेकिन यहीं पर पुष्कर सिंह धामी का सौरव गांगुली वाला फार्मूला हमें दिखाई देता है जहां वह अपनी बनाई मंत्रिमंडल की टीम को पूरा मौका देते हुए खुद को साबित करने का अवसर देते नजर आए। फिर केंद्र में चाहे उन विषम हालातों को बेहतरीन ढंग से रखना हो या आलाकमान को भरोसे में लेना हो , सीएम धामी ने विवादित मंत्रियों पर पूरी तरह से भरोसा जताते हुए उन्हें बनाए रखा और आज वह गर्म हवा और अफवाह पूरी तरह से शांत हो गई है।

- Uttarakhand Politics भाजपा मुख्यालय हो या सीएम दफ्तर फिलहाल दायित्व धारियों की लिस्ट और मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा खुलकर नहीं की जा रही है , क्योंकि अंदरखाने खबर है कि यह सीएम धामी की स्ट्रैटेजी है कि अपने लोगों पर पूरा भरोसा जताते हुए उन्हें खुद को साबित करने का पूरा मौका दिया जाए। लेकिन यह भी सब जानते हैं कि सीएम धामी अक्सर अपने फैसले से लोगों को चौंका भी देते हैं। ऐसे में उन्होंने आलाकमान को कब तक का भरोसा दिया होगा , यह नहीं कहा जा सकता।
- Uttarakhand Politics कैबिनेट विस्तार तो तय है और वह राज्य की विकास योजनाओं को पटरी पर लाने की आवश्यकता भी है। लेकिन इन सबके बीच एक बात जो साफ नजर आती है वह है विधायकों के अंदर की बेचैनी को शांत करते हुए मुख्यमंत्री ने कुछ ऐसे सियासी शॉट्स मारे हैं जिसके बाद अब लोग सिर्फ इंतजार करने में ही अपना भला समझ रहे हैं। हालांकि अंदर ही अंदर बहुत कुछ ऐसा भी है जो पकता दिखता है। लेकिन उसकी झलक अभी धुंधली सी है और वो साफ़ नज़र नहीं आ रही है। अब ये उहापोह और कॉन्फिडेंस के दिखाने का यह दौर कितना लंबा होगा यह देखना दिलचस्प है क्योंकि कसौटी पर न सिर्फ उत्तराखंड सरकार की साख है बल्कि खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अपनी छवि भी इससे जुड़ी हुई है।
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