देहरादून से अनीता तिवारी की इनसाइड स्टोरी –

Uttarakhand Women Politics सरिता , रेखा , ज्योति , सोनिया का धड़का दिल – मोदी लाएंगे बिल …. जी हाँ ये वो नाम हैं जो फ्रंट लाइन पॉलिटिक्स में दिखाई देते हैं और जिन्हे महिला आरक्षण बिल के लागू होने का इंतज़ार है .अगर if ये सम्भव हुआ तो उत्तराखंड के लिए लगभग 50 – 50 का औसत हो जायेगा क्योंकि because 5 में से 2 सीट महिलाओं के हिस्से में आ जाएगी। अब देखना ये है कि दो बड़ी पार्टियों में क्या ये कैंडिडेट मुफीद सिलेक्शन साबित होगी ?
यूपी को 27 पहाड़ को 2 महिला सांसद सम्भव
Uttarakhand Women Politics
वर्तमान में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, हैरानी की बात ये है कि राज्य विधानसभाओं में ये आंकड़ा दस फीसदी से भी निचले स्तर पर है. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटें हैं, यदि if महिला आरक्षण पर मुहर लगती है तो यहां सर्वाधिक 27 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की जा सकती हैं, तेलंगाना में 17 में से 6, उत्तराखंड में 5 में से 2, पश्चिम बंगाल में 42 में से 14 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो सकती हैं.


आज अगर if चुनावी साल 2024 में महिला आरक्षण बिल लागू हो जाता है तो उन प्रदेशों की महिला नेत्रियों की लॉटरी लग जाएगी जो सक्रिय और प्रभावी भूमिका में हैं। तो चलिए पहले बात सत्ताधारी भाजपा की कर लेते हैं जहाँ महिला विधायक तो कई हैं लेकिन but सांसद पद के लिए मुफीद मौजूदा मंत्री रेखा आर्य और नैनीताल से विधायक सरिता आर्य बड़ा चेहरा माना जा सकता है। वहीँ दिग्गज खंडूड़ी की विधायक बेटी और विधान सभा अध्यक्ष ऋतू खंडूडी पौड़ी से दमदार दावेदार साबित हो सकती हैं स्थानीय और अनुभवी के साथ साथ इन्हे क्षेत्र में सक्रिय देखा जाता है वही दूसरी पंक्ति में कुछ नाम सामने आ सकते हैं जो चौंकाने वाले हो सकते हैं।
कांग्रेस के लिए चुनौती है महिला उम्मीदवार तलाशना
अब बात कांग्रेस की करें तो सबसे बड़ी नेत्री इंदिरा हृदयेश के निधन से बड़ा फेस फिलहाल पार्टी के पास नहीं है क्योंकि सरिता आर्य ने पार्टी बदल ली और ममता राकेश से ज्यादा उम्मीद लगाना ज्यादती होगी। ऐसे में महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला ही एक बड़ा फेस बन सकती हैं जिनको गांधी परिवार और प्रियंका राहुल का भी आशीर्वाद मिला हुआ है। वहीँ पूर्व सीएम हरदा अपनी ज़िद मनवाने में कामयाब हुए तो विधायक बिटिया अनुपमा या पत्नी को दिल्ली की राह की चाह में कइयों की आह निकलवा सकते हैं। लेकिन यहाँ चेहरे भाजपा के मुक़ाबले कम ही दीखते हैं..
