Vindhyachal Dham: विंध्याचल धाम : तीनों रूपों में विराजमान है माता

Vindhyachal Dham नवरात्रि के दौरान मां भगवती के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्र के दौरान लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए देश भर में स्थित शक्तिपीठों पर जाना चाहते हैं. ऐसे में भारत के प्रमुख 51 शक्तिपीठों में से एक विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए आते हैं. यह धाम प्रयागराज और काशी के मध्य विन्ध्य पर्वत श्रृंखला मिर्जापुर जिले में स्थित है. पौराणिक मान्यता है कि यहां को कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है.

Vindhyachal Dham

तीनों रूपों में विराजमान है माता

मां विंध्यवासिनी(Vindhyachal Dham) का यह मंदिर देश के 108 सिद्धपीठों में से एक है. विंध्याचल पर्वत पर निवास करने वाली माता यहां पर सशरीर अवतरित हुई थीं. यहां पर माता अपने तीनों रूप यानी महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के रूप में विराजमान हैं. यही कारण है कि इसे महाशक्तियों का त्रिकोण भी कहा जाता है. इस पावन विंध्य धाम में मां विंध्यवासिनी के साथ मां काली और अष्टभुजा का मंदिर है. इस त्रिकोण के बारे में मान्यता है कि यदि यहां पर आने वाला व्यक्ति तीनों देवी के दर्शन नहीं करे तो उसे उसकी साधना का संपूर्ण फल नहीं मिलता है.

Vindhyachal Dham

पैदल यात्रा से पूरी होती हैं मनोकामनाएं

कहते हैं कि ब्रह्माण्ड में यह इकलौता स्थान है जहां पर तीन देवियां एक साथ अपने भक्तों का कल्याण करती हैं. करीब 12 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस त्रिकोण की पैदल यात्रा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कहते हैं कि एक महाशक्ति का दर्शन करने से कई जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं लेकिन विंध्य पर्वत पर तीनों शक्तियां एक साथ बैठकर जगत का कल्याण कर रही हैं जिससे यहां का महत्व अन्य जगहों से ज्यादा है.

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चमत्कारों से भरा है मां का दिव्य धाम

मां विंध्यवासिनी के मंदिर(Vindhyachal Dham) से जुड़ी मान्यता है कि औरंगजेब के समय में जब भारत के तमाम मंदिर को तुड़वाया जा रहा था, उस समय एक विचित्र घटना घटी थी. औरंगजेब की सेना जब मां विंध्यवासिनी के मंदिर को तोड़ने के लिए आगे बढ़ी तो न जाने कहां से बड़ी संख्या में भौरों ने उस पर हमला बोल दिया था. इसके बाद औरंगजेब की सेना मंदिर तोड़ने का ख्याल छोड़ आगे बढ़ गई थी.

सारे सपने पूरी करती है मां

अगर आपने त्रिकोण यात्रा की होगी तो आपने मार्ग पर जगह-जगह पत्थर देखा होगा. जिसे लोगों ने एक आशियाने की मंशा में प्रतीक स्वरूप घर का निर्माण किया होगा. लोग इस उम्मीद से यह काम करते हैं कि अगर मां चाहेंगी तो उनका सपना भी जरूर पूरा होगा. इसी भरोसे से यह सिलसिला सालों से चला आ रहा है. वैसे भक्तों की सुविधा और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां पर रोपवे का निर्माण भी करवाया गया है जो अष्टभुजा और कालीखोह में स्थित है.

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