Virtual Humans वो दोस्त , साथी और आपका हमकदम बन सकता है। क्योंकि वो चल सकता है, बैठ सकता है या लेट सकता है और लोगों से बात कर सकता है, लेकिन यह चीजों को उठा नहीं सकता, यह चीजों को इधर-उधर नहीं ले जा सकता और न ही आपके लिए चाय बना सकता है। हाँ बेशक आज रोबोट को भी अकेले इंन्सान के साथी के तौर पर समाधान माना जाता है, लेकिन वर्चुअल मनुष्य रोबोट की तुलना में किफायती हैं। इन्हें कोई भी आकार दिया जा सकता है, कोई भी शक्ल दी जाती है और व्यवहार भी किसी की भी तरह तय किया जा सकता है,
अकेलेपन की समस्या से निपटने की कोशिश Virtual Humans

वर्चुअल इंसान इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है. वर्चुअल इंसान कम्प्यूटर जनित मनुष्य होता है, जिसे आपके घर की बैठक समेत भौतिक दुनिया में रखा जा सकता है. यह एक अनूठा साथी है, क्योंकि यह भौतिक दुनिया में सहजता से घुलमिल जाता है. आपको यह कंप्यूटर-जनित मानव एक असल मनुष्य की तरह दिखाई देता है और यह वास्तविक एवं वर्चुअल दुनिया के बीच की सीमाओं को तोड़ रहा है.
यह वर्चुअल इंसान असली मनुष्य की तरह ही चल सकता है, बैठ सकता है या लेट सकता है और लोगों से बात कर सकता है, लेकिन यह चीजों को उठा नहीं सकता, यह चीजों को इधर-उधर नहीं ले जा सकता और न ही चाय बना सकता है. यह प्रौद्योगिकी अभी उतनी विकसित नहीं हुई है. रोबोट को भी बुजुर्गों के अकेलेपन का समाधान माना जाता है, लेकिन वर्चुअल मनुष्य रोबोट की तुलना में किफायती हैं. इन्हें कोई भी आकार दिया जा सकता है, कोई भी शक्ल दी जाती है और व्यवहार भी किसी की भी तरह तय किया जा सकता है, जबकि रोबोट के लिए यह संभव नहीं है.
उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लैस वर्चुअल इंसानों के साथ में बुजुर्ग आबादी के मानसिक स्वास्थ्य और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने की काफी क्षमता है, लेकिन इसे परिपक्व प्रौद्योगिकी बनाने के लिए अभी कई बाधाओं और चुनौतियों से पार पाना शेष है. वर्चुअल इंसान के तमाम लाभों के बावजूद यह देखना होगा कि क्या लोग स्वीकार करेंगे कि यह साथी बनकर उनके साथ रहे