Women Nature ये तो आपने भी किसी को कहा और किसी से सुना ही होगा कि भारतीय महिलाएं बोलती बहुत हैं। किसी भी राज्य किसी भी भाषा और किसी भी समाज को देख लीजिये ये धारणा समान है क्योंकि महिलाओं पर अक्सर ये इल्जाम लगता आया है कि वो पुरुषों की तुलना में बहुत ज्यादा बोलती हैं, इसके चलते ये सामान्य धारणा भी बन गयी है. ये लोगों के बीच चर्चा का विषय भी बन गया है. यह धारणा समाज में गहराई से जमी हुई है कि महिलाएं बहुत ज्यादा बोलती हैं. हालांकि, क्या यह सच में सही है? यह सवाल बहुत जरुरी है, क्योंकि कई बार महिलाओं को ये बोलकर भी परेशान किया जाता है कि वो पुरुषों की तुलना में बहुत ज्यादा बातचीत करती हैं. ऐसे में चलिए इस रिसर्च में हम इसके पीछे का सच खोजते हैं कि इस सोच में कितनी सच्चाई है.
महिलाएं 20,000 और मर्द केवल 7,000 शब्द बोलते हैं Women Nature
कई सालों से ये मान्यता रही है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा बोलती हैं. इसपर एक रिसर्च भी हुई थी जो काफी पढ़ी भी गई. इस रिसर्च में ये दावा किया गया था कि महिलाएं हर दिन औसतन 20,000 शब्द बोलती हैं, जबकि पुरुष केवल 7,000 शब्द ही बोलते हैं. यह आंकड़ा सुनने में प्रभावशाली लगता है, लेकिन क्या यह सच है ? हाल ही में हुई कई रिसर्च ने इस मान्यता को चुनौती दी गई है. कई अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच शब्दों की संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं होता है. दरअसल दोनों लिंग एक ही तरह से शब्दों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन उनके बोलने के तरीके और मायने अलग हो सकते हैं.
बातचीत करने का तरीका
महिलाओं और पुरुषों के बीच बातचीत करने का तरीके में भी एक जरुरी फर्क है. महिलाओं की बातचीत आमतौर पर भावनात्मक, रिश्तों और सामाजिक मुद्दों पर टिकी होती है. वो बातचीत के दौरान ज्यादा खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त करती हैं और दूसरों से जुड़ने की कोशिश करती हैं. दूसरी ओर पुरुष ज्यादा तार्किक और समस्या–समाधान चीजों पर बातचीत करते हैं. उनकी बातचीत करने का मतलब अक्सर जानकारी देना या मुद्दों का समाधान करना होता है. यह फर्क उनके बोलने के तरीके को भी प्रभावित कर सकता है.
क्या हैं सांस्कृतिक मान्यताएं
सांस्कृतिक मान्यताएं भी इसे प्रभावित करती हैं. अलग–अलग संस्कृतियों में महिलाओं और पुरुषों की बातचीत के बारे में विभिन्न अपेक्षाएं होती हैं. कुछ संस्कृतियों में महिलाओं को ज्यादा बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जबकि दूसरी जगहों पर पुरुषों से ज्यादा बोलने की उम्मीद होती है. कई जगहें भी इस बात को बढ़ावा देती हैं जिसमें महिलाओं के ज्यादा बातचीत करने के बारे में कहा जाता है. जिसमें मीडिया जैसी जगहें भी शामिल होती हैं. वहीं कई सालों से ये कहा रहा है कि महिलाएं ज्यादा बोलती हैं. जिससे लोगों को ये बात सच लगने लगी है, लेकिन बता दें लंबे समय से कोई बात बोली जा रही है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो सच ही हो.
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