Women Safety Watch : अब लड़कियों को छेड़ा तो 1 घड़ी बज जाएगी – 

Women Safety Watch बालिका-सुरक्षा आज के दौर की महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है। बेटियों के घर से निकलने और वापस घर लौटने तक माता-पिता की चिंता लगी ही रहती है। बढ़ते अपराध और असुरक्षित सामाजिक स्थिति में खास तौर से स्कूल-ट्यूशन जाने वाली छात्राओं के परिजन इस मामले में ज्यादा सतर्क रहते हैं। 

Women Safety Watch बेटियों को बचाएगी घड़ी 

Women Safety Watch
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  • Women Safety Watch इसे लेकर परिवार और पुलिस के स्तर से सुरक्षात्मक उपाय तो किए ही जाते हैं, परंतु कहीं न कहीं वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। इस दिशा में तकनीक अब काफी कारगर दिख रही है और तकनीक की मदद से ही डीपीएस बोकारो की एक मेधावी छात्रा अंजलि शर्मा ने अनूठा सुरक्षा उपकरण तैयार किया है। अंजलि ने एक खास घड़ी बनाई है, जिसे उसने गर्ल्स सेफ्टी ऑटोमेटिक कॉलिंग वॉच का नाम दिया है। इस घड़ी की मदद से मुश्किल में फंसीं महिलाएं या लड़कियां बस एक बटन दबाकर अपनी हिफाजत कर सकेंगी।
Women Safety Watch
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  • Women Safety Watch घड़ी का बटन दबाते ही सीधे उसके परिजन और पुलिस को फोन चला जाएगा। फोन के साथ-साथ खतरे में होने का एसएमएस भी चला जाएगा। घड़ी में लगे जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) की मदद से परिजन या पुलिस सीधे उसके पास मिनटों में पहुंच सकेंगे। इस नवोन्मेषता के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से इंस्पायर अवार्ड मानक योजना के तहत अंजलि का चयन किया जा चुका है। प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्राथमिक स्तर पर उसे 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी मिल चुकी है।
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Women Safety Watch ऐसे काम करता है सेफ्टी कॉलिंग वॉच
 
 
  • Women Safety Watch एमसीयू (माइक्रोकंट्रोलर यूनिट) आधारित इस वॉच में सेंसर, दो पुश बटन, एलसीडी स्क्रीन, एलईडी ग्लो, वाई-फाई युक्त जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन) मॉड्यूल, सिम-कार्ड आदि की जरूरत होती है। एक एम्बेडेड सिस्टम में एमसीयू मुख्य घटक है जो सर्किट बनाता है। इसमें एक प्रोसेसर इकाई, मेमोरी मॉड्यूल और कम्युनिकेशन इंटरफेस लगा होता है। एमसीयू में लगी चिप में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की मदद से वो नंबर फीड किए जाते हैं, जिस पर फोन किया जाना है। 
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  • Women Safety Watch आपातकाल में घड़ी में लगे बटन को दबाते ही सेंसर काम करने लगता है, जो माइक्रोकंट्रोलर को सूचित करता है। उसमें लगे सिम के जरिए सीधे कंफीगर किए मोबाइल नंबर पर फोन चला जाता है। एक स्विच से घर, तो दूसरे से पुलिस को फोन जा सकता है। एलईडी ग्लो वाले सेंसर से कॉल कनेक्ट होने का पता चलता है। जबकि, इंटरनेट की मदद से जीपीएस के जरिए फोन रिसीव करने वाले के फोन में उसका लोकेशन भी पहुंच जाता है।
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