Anokhi Shadi राजस्थान के हिल स्टेशन कहलाने वाले माउंट आबू में लोग पितरों की अस्थियां विसर्जन कर अपने धार्मिक अनुष्ठान पूरे करते हैं. इस आयोजन में राजस्थान के अलावा दूसरी जगहों के आदिवासी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं. पितृ तर्पण के बाद युवक-युवतियां अपने घरों का शोक खत्म कर नाचने गाने लगते हैं.
मेले में स्वयंवर की है प्रथा Anokhi Shadi
शोक मिटने के साथ युवक-युवतियों के संबंध भी तय होते हैं. कोई युवक-युवती प्यार करते हैं और उन्हें भी समाज अपनी परंपराओं के अनुसार अनुमति देते हैं.नक्की झील को आदिवासी समाज पुष्कर और गंगा की तरह पवित्र मानते हैं. वर्षभर में मृत परिजनों की अस्थियां संजोकर रखते हैं और बुद्ध पूर्णिमा के दिन नक्की झील में विधि-विधान से उनका तर्पण करते हैं. महिलाएं भी अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करती हैं.

आदिवासी समाज के बारे में किवदंती है कि ये समाज अपनी पसंद से शादी करते हैं. इस मेले में सजे-धजे युवक-युवती अपने जीवन साथी को मेले में खोजते हैं और पसंद आने पर वहां से भाग जाते हैं. इनके सगे सम्बंधी द्वारा ये खबर दोनों के परिवार को दी जाती है और आपसी रजामंदी के बाद दोनों की शादी कर दी जाती है.
कई बार आपसी सहमति नहीं होने पर इस जोड़े के बच्चे अपने माता-पिता की शादी में ढोल बजाते हैं, क्योंकि पारिवारिक सहमति नहीं होने पर ये लिव इन रिलेशनशिप की तरह वर्षों तक साथ रहते हैं और इनके बच्चे बड़े होने अपनेमाता-पिता की शादी करवाते हैं.