hema committee report समाज में कहाँ सुरक्षित है महिलाएं ? घर परिवार , स्कूल बाजार या वर्किंग प्लेस , कहीं ऐसा कोना नहीं जहाँ से महिला उत्पीड़न की खबरें सामने न आती हों। ऐसे में एक रिपोर्ट ने मनोरंजन की दुनिया का काला सच सामने ला दिया है। आपको भी फिल्म इंडस्ट्री से कई बार ऐसी खबरें सुनने को मिल जाती होंगी जिसमें महिलाओं के शोषण का खुलासा होता है। हालांकि अगर यह शर्मनाक अपराध और महिला उत्पीड़न बढ़ता रहे और इंडस्ट्री में किसी का काम करना हराम कर दे तो फिर हर किसी को इसकी चिंता होनी चाहिए। मुंबई हो भोपुरी हो या कोई और भाषाई फिल्म इंडस्ट्री हर जगह यौन उत्पीड़न की शिकार लडकियां होती है जो अभिनय में अपना कैरियर बनाने आती है। अब मलयालम फिल्म इंडस्ट्री सवालों के कटघरे में खड़ी है, क्योंकि 295 पन्नों की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें चौंकाने वाले दावे किए गए हैं।
इंडस्ट्री में सेफ नहीं महिलाएं, हेमा कमेटी hema committee report
धड़ल्ले से हो रहा एक्ट्रेसेज का शोषण- रिपोर्ट
जी हां, जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में धड़ल्ले से एक्ट्रेसेज का शोषण हो रहा है। इतना ही नहीं, इंडस्ट्री में हीरोज का बोलबाला है। यह रिपोर्ट 5 साल के बाद आई है, जो 295 पन्नों की है। इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे किए गए हैं। साथ ही यौन शोषण से लेकर कास्टिंग काउच और शोषण पर भी बात की गई है।हेमा कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, इंडस्ट्री में एक्टर्स, डायरेक्टर्स, प्रोड्यूसर्स का एक बड़ा ग्रुप है, जो यह फैसला करता है कि किसे काम देना है और किसे नहीं देना है? साथ ही यह बात भी सामने आई है कि इंडस्ट्री में सब कुछ हीरो की मर्जी से होता है और कोई एक्ट्रेसेस की नहीं सुनता। यही नहीं, कोई भी महिला या पुरुष इस ग्रुप के बारे में कुछ नहीं कहता है।
कास्टिंग काउच की पुष्टि
हेमा कमेटी की रिपोर्ट की कॉपी सरकार के बाद आरटीआई एक्ट के तहत मीडिया को भी सौंपी गई, जिसमें खुलासा हुआ कि इंडस्ट्री में कुछ महिलाओं का यौन उत्पीड़न होता है और शारीरिक छेड़छाड़ की जाती है, जिससे वे सदमे में भी चली जाती हैं। खुलासा हुआ है कि इस इंडस्ट्री में महिलाओं को गलत नजर से देखा जाता है। रिपोर्ट ने इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच सिंड्रोम की भी पुष्टि की है।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि इस इंडस्ट्री में नशे में धुत शख्स महिलाओं के कमरे के दरवाजे तक खटखटाते हैं। जो महिलाएं इसका शिकार होती हैं, वे डर के मारे किसी को कुछ नहीं बताती और न ही पुलिस के पास जाती हैं। रिसर्च के तहत समिति को बयान देने वाली एक्ट्रेस रंजिनी उर्फ साश सेल्वराज उन एक्ट्रेसेज में शामिल थीं, जो शोषण का शिकार हुईं।रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा में महिलाओं के प्रति एक गलत नजरिए को भी देखा गया और इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच सिंड्रोम की भी पुष्टि की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्देशक और मेकर्स अक्सर महिलाओं पर शोषणकारी स्थितियों के लिए दबाव डालते हैं। जो महिलाएं उनकी शर्तों से सहमत होती हैं, उन्हें कोड नाम से बुलाया जाता है ‘सहयोगी कलाकार।’ रोल्स के लिए अपनी ईमानदारी से समझौता करने वाली महिलाओं के कई बयान सामने आए हैं।
यहां पैदा नहीं कर सकते 7वां बच्चा, क्योंकि…https://shininguttarakhandnews.com/amazing-facts-10/