आखिर कौन थे महाराज जगत सिंह

शिमला: इन दिनों पंजाब के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के भोटा कस्बे में स्थित राधास्वामी सत्संग ब्यास के चैरिटेबल अस्पताल का मामला चर्चा में है. राधास्वामी सत्संग ब्यास (कागजों में आरएसएसबी) के इस चैरिटेबल अस्पताल की जमीन को डेरा प्रबंधन अपनी ही एक सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन के नाम ट्रांसफर करना चाहता है. ये सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी के नाम से है.

हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू डेरा ब्यास प्रबंधन के इस आग्रह पर गंभीर हैं और उन्होंने इसके लिए विधानसभा में विधेयक लाने की बात कही है. यहां ये जानना दिलचस्प होगा कि हिमाचल में डेरा ब्यास का कितना प्रभाव है और महाराज जगत सिंह जी कौन थे, जिनके नाम पर सोसायटी बनी हुई है. उल्लेखनीय है कि राधास्वामी सत्संग ब्यास के वर्तमान गद्दीनशीन महाराज गुरिंद्र सिंह ढिल्लों जी समय-समय पर प्रवचन के लिए हिमाचल आते रहते हैं.

हिमाचल में सोलन के रबौण, कांगड़ा के परौर, हमीरपुर के भोटा सहित प्रदेश भर में विशाल सत्संग भवन हैं. राजस्व रिकार्ड के अनुसार डेरा ब्यास के पास प्रदेश भर में पांच हजार बीघा से अधिक की जमीन है, जिसमें से अधिकांश भेंट स्वरूप स्थानीय लोगों ने आस्था के वशीभूत दी है. खैर, यहां महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को लेकर जनता की उत्सुकता शांत करने का प्रयास है.

महाराज जगत सिंह पेशे से थे प्राध्यापक

महाराज जगत सिंह को अंग्रेज हुकूमत के समय सरदार बहादुर की उपाधि भी मिली थी. वे लायलपुर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे. साल 1920 में वे अंग्रेज शासन में इंपीरियल एग्रीकल्चरल सर्विस कमीशन की तरफ से इंडियन एग्रीकल्चर सर्विसेज में सिलेक्ट हुए थे. महाराज जगत सिंह जी का जन्म साल 1884 में पंजाब में हुआ था. उन्होंने अविभाजित भारत के गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से एमएससी कैमिस्ट्री की डिग्री हासिल की थी. वे लायलपुर के पंजाब एग्रीकल्चर कॉलेज में प्रोफेसर थे.

रिटायरमेंट के बाद से वे निरंतर डेरा ब्यास में अपने गुरू बाबा सावन सिंह जी की हाजिरी में रहे. वे बाद में बाबा सावन सिंह जी के उत्तराधिकारी बने. उनका महाप्रयाण 23 अक्टूबर 1951 में हुआ. उनके नाम पर डेरा बाबा जैमल सिंह प्रबंधन यानी राधास्वामी सत्संग ब्यास की तरफ से साल 1978 में महाराज जगतसिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी शुरू की गई. डेरा ब्यास चार चैरिटेबल अस्पताल चलाता है. एक अस्पताल डेरा ब्यास में बाबा सावन सिंह जी के नाम पर है. एक अस्पताल हिमाचल के हमीरपुर जिला के भोटा में है. एक हरियाणा के सिरसा में महाराज चरण सिंह जी के नाम पर है व एक डेरा के भीतर ही ब्यास में डेरा अस्पताल के नाम से है.

इन सभी अस्पतालों के लिए महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी विभिन्न स्तरों पर मदद का काम करती है. महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी भोटा अस्पताल को भी सेवाएं देती हैं. हमीरपुर में साल 1999 में शुरू हुआ भोटा अस्पताल आसपास के15 किलोमीटर के दायरे में जनता को सेवाएं दे रहा है. इसी अस्पताल को डेरा प्रबंधन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर करवाना चाहती है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसके लिए विधानसभा में बिल लाने का वादा भी किया है.

डेरा ब्यास का इतिहास

वैसे तो राधास्वामी पंथ की शुरुआत आगरा की पन्नी गली से हुई थी, लेकिन पंजाब के ब्यास में डेरा बाबा जैमल सिंह ने इस पंथ को नई चर्चा दी. आगरा में स्वामी शिवदयाल सिंह जी महाराज, जो बाद में स्वामी जी महाराज के नाम से विख्यात हुए, इस पंथ के प्रवर्तक कहे जाते हैं. उनका जीवनकाल वर्ष 1818 से 1878 तक था. वे इस मत के प्रथम आचार्य थे. अंग्रेज हुकूमत के समय जैमल सिंह जी फौज में सेवारत थे और वे स्वामी जी महाराज के शिष्य बने.

यही जैमल सिंह जी फौज से रिटायर होकर पंजाब में ब्यास नदी के किनारे कुटिया बनाकर रहने लगे थे. उनके नाम पर ही राधास्वामी सत्संग ब्यास के केंद्र स्थान को डेरा बाबा जैमल सिंह के नाम से जाना जाता है. जैमल सिंह जी, ब्यास धारा के प्रथम आचार्य हुए. उनके महाप्रयाण के बाद वर्ष 1904 में बाबा सावन सिंह जी महाराज ने गुरू गद्दी संभाली. बाबा सावन सिंह 1948 में ज्योति जोत समाए. उनके बाद डेरा ब्यास की गद्दी महाराज जगत सिंह जी ने संभाली. वे तीन साल तक गुरु गद्दी पर रहे. उनका कार्यकाल 1948 से 1951 तक रहा.

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