देहरादून से आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
Dhami Sarkar अजब है मोहब्बत और गजब है शादी का नशा … क्या स्मार्ट शहर और क्या पहाड़ के गाँव …. लेकिन जनाब इस खबर में आप ये जान कर चौंक जायेंगे कि एक ऐसी शादी होने से रुद्रप्रयाग के तेज़तर्रार जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अखिलेश मिश्र ने रूकवा दिया जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार में फिलहाल एक कानूनन गुनाह हो सकता था। एक ऐसी शादी जहाँ लड़की तो थी बालिग़ लेकिन लड़का नाबालिग था लेकिन घरवालों ने शादी के लिए जब जिद पकड़ कर ड्रामेबाज़ी शुरू की तो धाकड़ मिश्रा जी ने भी सरकारी तेवर ऐसे दिखाए कि दोनों पक्षों का शादी का नशा काफूर हो गया।
रुद्रप्रयाग में विभाग ने रुकवाए 17 बाल विवाह – डॉ अखिलेश मिश्र Dhami Sarkar
आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग में बाल विवाह के खिलाफ महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग का ताबड़तोड़ अभियान जारी है। इसी दौरान विभाग को गुप्तचर तंत्र से जानकारी मिली की वासुकेदार तहसील के कौशलपुर गांव में एक 17 वर्षीय लड़के का विवाह बसुकेदार के समीपवर्ती गांव में 19 वर्षीय बालिग लड़की से तय होने और 4 दिन बाद सगाई होने जा रही है। इस सूचना के मिलते ही जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अखिलेश मिश्र अलर्ट हुए और वन स्टॉप सेंटर से केंद्र प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट, चाइल्ड हेल्पलाइन के सुपरवाइजर सुरेंद्र सिंह और केस वर्कर अखिलेश सिंह को कड़े निर्देश देकर लड़की के घर पर भेजा जहाँ जाकर उसके घरवालों को और लड़की को समझाया गया कि बाल विवाह एक कानून अपराध है और इसके लिए लड़की और लड़के के घरवालों को कम से कम 2 वर्ष की सख्त सजा और एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है।
यहां आश्चर्य की बात यह देखने को मिली कि लड़के की उम्र अभी 17 वर्ष ही है और लड़की 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी है। समान नागरिक संहिता के हिसाब से देखें तो अभी लड़के के विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष पूर्ण होने में 4 वर्ष की समय बाकी है किन्तु लड़के को विवाह की इतनी जल्दी पड़ी है कि वो विगत 4 दिनों पहले से ही लड़की के गांव में सगाई के लिए पहुंच गया था। लड़के और लड़की के घर वालों ने लाख दलीलें दीं रोने धोना किया लेकिन नाबालिग लड़के को टीम ने बहुत सख्ती के साथ समझा बुझाकर वापस भेज दिया। यहाँ एक संवेदनशील अधिकारी डॉ अखिलेश मिश्र की पैनी नज़र और सख्त कार्यवाही से बाल विवाह रुक सका बल्कि धामी सरकार ने यूसीसी कानून का भी पालन कराया गया।
इसके साथ ही लड़के और लड़की के मां बाप को भी कड़ी हिदायत देते हुए सचेत किया गया कि अगर समान नागरिक संहिता में विवाह के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु से पहले उनके द्वारा पुनः ऐसी कुचेष्टा करने का प्रयास किया गया तो विभाग द्वारा उनके विरुद्ध विधिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। लड़के और लड़की को एक साथ बिठाकर भी उनकी काउंसलिंग की गई और उनको तथा उनके घर वालों को यूसीसी की जानकारी भी दी गई और बताया गया कि 01 जनवरी 2025 के बाद से विवाह का पंजीकरण आवश्यक हो गया है और यदि इसमें किसी नाबालिग के विवाह का पंजीकरण किया जाता है जो उनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी।