Google ऑनलाइन लेन-देन और डिजिटल भुगतान के बढ़ते उपयोग के साथ साइबर फ्रॉड और स्कैम के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. इन खतरों को रोकने के लिए Google ने नई तकनीक पर काम करना शुरू कर दिया है, जो यूज़र्स को कॉल, स्क्रीन शेयर और फाइनेंशियल ऐप्स के दौरान तुरंत चेतावनी दे सकेगी.कंपनी की योजना है कि पॉप-अप अलर्ट दिखाए जाएँ, जो यूज़र को बताएंगे कि कॉल संदिग्ध हो सकती है. इसके साथ ही, अलर्ट में एक विकल्प होगा जिससे यूज़र कॉल और स्क्रीन शेयर दोनों बंद कर सकेगा, ताकि स्कैम के खतरे को तुरंत रोका जा सके.
Google Pay, Paytm और Navi पर पायलट टेस्ट
Google इस फीचर की शुरुआती टेस्टिंग Google Pay, Paytm और Navi जैसे ऐप्स पर कर रहा है. इन ऐप्स को अक्सर ठगी और स्कैम का निशाना बनाया जाता है, इसलिए कंपनी चाहती है कि यूज़र्स समय रहते खतरे को पहचान सकें और गलती से भी अपनी स्क्रीन किसी स्कैमर के साथ साझा न करें. पायलट टेस्ट के दौरान यह देखा जाएगा कि नए अलर्ट सिस्टम कितनी प्रभावी तरह से संदिग्ध कॉल और फाइनेंशियल ट्रांज़ैक्शन को पहचान सकता है.Google ने Pixel फोन यूज़र्स के लिए एक अलग फीचर भी पेश करने की घोषणा की है. यह फीचर कॉल के दौरान रियल-टाइम में स्कैम या ठगी जैसी गतिविधियों की पहचान करेगा.

इस सिस्टम की खासियत यह है कि:
यह कॉल को रिकॉर्ड या ट्रांसक्राइब नहीं करता.
फीचर डिफ़ॉल्ट रूप से बंद रहता है और केवल अनजान नंबरों पर सक्रिय होता है.
कॉल में मौजूद दोनों लोगों को बीप के माध्यम से सूचित किया जाएगा.
इस तरह, उपयोगकर्ताओं को किसी भी संदिग्ध गतिविधि के बारे में तुरंत जानकारी मिल जाएगी, बिना उनकी प्राइवेसी से समझौता किए.
OTP की जगह आने वाली SIM-आधारित वेरिफिकेशन तकनीक
Google एक और महत्वपूर्ण तकनीक ePNV (Enhanced Phone Number Verification) पर काम कर रहा है. इस सिस्टम का उद्देश्य पारंपरिक SMS OTP की जगह सीधे SIM-आधारित ऑथेंटिकेशन प्रदान करना है.भारत में Google अपने पार्टनर्स के साथ मिलकर इसका टेस्ट कर रहा है, ताकि डिजिटल लेनदेन और अधिक सुरक्षित और आसान बन सके. इस तकनीक के जरिए यूज़र को OTP टाइप करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे ट्रांज़ैक्शन प्रक्रिया तेज़ और कम जोखिम भरी हो जाएगी.

AI सुरक्षा तकनीक का टेस्टिंग हब
Google के प्राइवेसी, सेफ्टी और सिक्योरिटी के वाइस प्रेसिडेंट इवान कोटसोविनोस का कहना है कि भारत डिजिटल अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते बाज़ारों में से एक है. इसलिए कंपनी यहाँ ऐसी AI आधारित तकनीकें विकसित कर रही है जो फ्रॉड और स्कैम को रोकने में मदद करें.उनके अनुसार, जब सुरक्षा सिस्टम डिवाइस के भीतर ही काम करता है, तो ठगों के लिए यूज़र्स को निशाना बनाना कठिन हो जाता है. इसका मतलब है कि डेटा और लेन-देन की सुरक्षा यूज़र के डिवाइस पर ही सुनिश्चित होती है, जिससे साइबर अपराधियों के लिए धोखाधड़ी करना मुश्किल हो जाएगा.

यूज़र्स की सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में नया कदम
इन नई तकनीकों के आने से न केवल डिजिटल भुगतान सुरक्षित होंगे, बल्कि कॉल और स्क्रीन शेयर के दौरान अनजान और संदिग्ध गतिविधियों से भी बचाव आसान हो जाएगा. Google का यह कदम भारत और अन्य बड़े डिजिटल मार्केट्स में साइबर सुरक्षा को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे AI और रियल-टाइम स्कैम डिटेक्शन फीचर्स व्यापक स्तर पर लागू होंगे, ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले काफी हद तक घट सकते हैं, और यूज़र्स को अपने वित्तीय डेटा की सुरक्षा का भरोसा मिलेगा.

