Amazing Facts मौत के घाट उतार देती है नेट्रॉन झील !

Amazing Facts आज आपको एक अनोखी खबर बताते हैं। अफ्रीका महाद्वीप के हृदय में बसी एक ऐसी झील है, जो अपनी खूबसूरती से लुभाती तो है, लेकिन छूने वाले को मौत के घाट उतार देती है. नेट्रॉन झील, जो तंजानिया के उत्तरी क्षेत्र में ओल डोइन्यो लेंगाई ज्वालामुखी के पास स्थित है, को ‘पत्थरों का कब्रिस्तान’ कहा जाता है. इसका लाल रंग खून जैसा चमकदार पानी देखकर पर्यटक मोहित हो जाते हैं, लेकिन इसके पीछे छिपी सच्चाई इतनी भयावह है कि इंसान के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

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यह झील इंसानों को भी पत्थर में बदल सकती है amazing-facts

कम से कम यही अफवाहें हैं जो सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है. वास्तव में, नाट्रॉन झील का पीएच स्तर 10.5 तक पहुंच जाता है, जो सामान्य पानी से कहीं अधिक क्षारीय है. इसमें सोडियम कार्बोनेट और बाइकार्बोनेट की भारी मात्रा होती है, जिसे सोडा ऐश भी कहते हैं. यह रसायन इतना कास्टिक (जलन पैदा करने वाला) है कि अगर कोई अनुकूलित जीव इसमें गिर जाए, तो उसकी त्वचा और आँखें झुलस सकती है. ब्रिटिश फोटोग्राफर निक ब्रैंड्ट ने 2013 में यहां की तस्वीरें लीं, जिनमें मृत पक्षियों के शव पत्थर की मूर्तियों जैसी मुद्राओं में खड़े नजर आए. तब से ही इन अफवाहों को आधार मिल गया.

पीछे है विज्ञान

इन तस्वीरों ने दुनिया भर में हलचल मचा दी. लोग सोचने लगे कि क्या यह झील किसी जादू या अभिशाप से ग्रस्त है? लेकिन विज्ञान की नजर से देखें तो यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे कैल्सीफिकेशन कहते हैं. जब कोई जानवर मरता है और उसका शव झील में डूब जाता है, तो क्षारीय पानी उसके ऊतकों को सख्त कर देता है, हड्डियों को मजबूत बनाता है और ममीकरण जैसा प्रभाव पैदा करता है. परिणामस्वरूप, शव सड़ते नहीं, बल्कि पत्थर जैसी संरचना में बदल जाते हैं.

हालांकि, यह झील पूरी तरह से घातक नहीं है. वास्तव में, यह लेसर फ्लेमिंगो पक्षियों का प्रमुख प्रजनन स्थल है. लाखों फ्लेमिंगो हर साल यहां अंडे देते हैं, क्योंकि वे इस विषैले पानी के प्रति अनुकूलित है. उनके पैरों की त्वचा मोटी होती है, जो जलन से बचाती है. लेकिन अन्य पक्षी, जैसे कि गलती से उड़ते हुए थकान या गर्मी से गिरने वाले, भाग्य के हवाले हो जाते हैं. झील का तापमान कभी-कभी 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जो जीवों के लिए घातक साबित होता है. पर्यटक रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई बार पक्षी झील के ऊपर उड़ते हुए अचानक गिर पड़ते हैं, क्योंकि गर्म हवा उनके पंखों को निष्क्रिय कर देती है. फिर उनका शव झील में तैरता रहता है, जब तक कि कैल्सीफिकेशन ना हो जाए.