देहरादून से अनीता आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
Bugyal of Uttarakhand उत्तराखंड में बुग्यालों को पयार/पाश्चर/अल्पाइन कहा जाता है। लघु / मध्य हिमालयी क्षेत्र तथा वृहत्/महान हिमालयी क्षेत्रों में 3500 मी से 6000 मी के मध्य पर्वत श्रेणी की ढालों पर छोटे-छोटे घास के मैदान/कोमल घास की ढलानें पायी जाती हैं। हालांकि although इन्हे आम भाषा में बुग्याल/ पयार भी कहा जाता है। बुग्यालों में घासों के साथ-साथ असंख्य प्रकार के पुष्प, जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं।
दिलकश है चोपता बुग्याल Bugyal of Uttarakhand

उखीमठ गोपेश्वर मार्ग पर दोगल बिटा से आगे और तुंगनाथ तक छोटे-बड़े अत्यंत रमणीय बुग्याल है. दरअसल actually इन बुग्यालों की सुन्दरता के कारण इस क्षेत्र को गढ़वाल का स्विट्जरलैंड कहा जाता है. 3780 मीटर की ऊँचाई पर स्थित तुंगनाथ मन्दिर के नीचे और ‘दोगलविटा’ तक ये फैले हैं. अगर if आप मोटर मार्ग से आएंगे तो 300 मीटर के पैदल मार्ग तक ये देखने को मिलते हैं.
कुश कल्याण
जौराई से आगे पहाड़ी को पार कर 3 किमी पर कुश कलण का मन को आकर्षित करने वाला बुग्याल है. बुग्याल लगभग 3141 मीटर की ऊँचाई पर है. उत्तरकाशी, गंगोत्री मार्ग पर 28 किमी पर मल्ला है और मल्ला से लगभग 16 किमी पर यह बुग्याल है.यह कोटालों की हारी कुश कल्याण के आगे 1400 फीट की ऊँचाई पर पाण्डवों की चोटी है. इस बुग्याल की अप्सराओं का बुग्याल भी कहते हैं.
बयार्की बुग्याल
कोटाली की हारी से 500 मी चलने पर यह स्पंजी (गद्दीदार) बुग्याल अत्यन्त विस्तृत क्षेत्र में फैला है, यह बुग्याल कल्याण खोला तक फैला है. कल्याण खोला के आगे भी 14,500 फीट की ऊँचाई पर ब्रह्मकमल से लदे अछरीताल और लिंगताल के चारों ओर सुंदर हरे-भरे घास के मैदान हैं. बूढ़ाकेदार से लगभग 34 किमी पर क्यार्की बुग्याल है.
पंबाली काँठा-माटूया बुग्याल
टिहरी जिले में धुत्तु से लगभग 14 किमी दूर पंवाली है. लेकिन but माट्या का बुग्याल अत्यन्त सुन्दर व हिम श्रंखलाओं की बुग्यालों की सुन्दरता तब और बढ़ जाती है जब इनके मध्य छोटे-बड़े अनेक सरोवर देखने को मिलते हैं. बूढ़ाकेदार से लगभग 40 किमी के दायरे में ये बुग्याल हैं. रात्रि विश्राम हेतु यहाँ अपने स्तर से ही व्यवस्था करनी पड़ती है,

रूपकुंड का बुग्याल कुंभ कल्याणी बुग्याल , पनवाली बुग्याल , दयारा बुग्याल
अनेक फूलों के मध्य फेणकमल के फूलों से आच्छादित यह बुग्याल लगभग 5029 मीटर की ऊँचाई पर 67 किमी में फैला है. यहाँ पहुँचने के लिए धराली जोकि ऋषिकेश मोटर मार्ग से जुड़ा है, से पैदल मार्ग अपनाना पड़ता है. घाट से भी यहाँ पहुँचा जा सकता है. लोहागंज पास से 39 मीटर पर रूपकुंड है.यह बुग्याल समुद्रतल से 3820 मीटर, गंगोत्री से केदारनाथ ट्रैकिंग रूट पर स्थित है.
कुंभ कल्याणी बुग्याल उत्तरकाशी जनपद में स्थित है.पनवाली बुग्याल समुद्रतल से 2745 मीटर से 3970 मीटर ऊँचाई पर स्थित है. उत्तरकाशी से भटवाड़ी होते हुए 3190 मीटर ऊँचे दयारा बुग्याल तक पहुँचा जा सकता है.
सोनगाड-छाया गाड़ के बुग्याल
सूखी टापू से नीचे उतरकर नाले पड़ते हैं. आगे भोजपत्र के जंगलों को पार करके बन्दरपूँछ के रास्ते पर यह अत्यन्त सुन्दर फूलों से भरा बुग्याल है. यहाँ पर पहुँचना अत्यंत विकट है. क्योंकि because सूखी तक मोटरमार्ग से जाकर लगभग 22 किमी की दूरी पैदल चलने पर यह घाटी आती है. रात्रि विश्राम हेतु स्वयं व्यवस्था करनी पड़ती है.
हालांकि although इनके अतिरिक्त अनेक छोटे-बड़े बुग्याल गढ़वाल क्षेत्र में फैले हैं. जहाँ पर अतीस, पंजा, कुट्टी, विषकंडार, सूरत कमल फेणकमल, ब्रह्मकमल न मालूम कितनी जड़ी-बूटियां व वनस्पतियां पैदा करती हैं लेकिन but इन ताल और बुग्यालों में बरसात से पूर्व और बरसात के पश्चात् यानि अप्रैल-मई और सितम्बर-अक्टूबर में जाना अनुकूल रहता है.क्योंकि because बरसात से पूर्व हरी मखमली घास दिखाई देती है और बरसात के बाद बुग्यालों में भाँति-भाँति के फूल खिलते हैं. इसलिये तो रोमांचक है गढ़वाल के ताल बुग्यालों की सैर.
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