देहरादून से अनीता तिवारी की रिपोर्ट –
Dialisera Bugyal Chamoli देवभूमि उत्तराखंड अद्भुत नज़ारों , देवस्थलों , मान्यताओं और रहस्यों से भरी जगहों की वजह से बेहद मशहूर है। पहाड़ों में आपको जहां कई अनसुलझे, अनगिनत किस्से सुनाई और दिखाई देंगे,वहीँ मान्यताओं की भी बेहिसाब कहानियां मिल जाएंगी । उन्हीं में से एक है खूबसूरत डियालीसेरा बुग्याल, जहां से जुडी है परियों की कहानी …. जहाँ परियां करती है धान की खेती और कटाई
गुमनाम है देवभूमि का दिलकश बुग्याल Dialisera Bugyal Chamoli

उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ की तपोवन घाटी से 17 किलोमीटर दूर (गाड़ी से) सफर कर करछौं गांव तक पहुंचा जाता है, जहां से 8 किमी की पैदल दूरी पर प्राकृतिक सुंदरता के खजाने से भरपूर डियालीसेरा बुग्याल स्थित है. यहां निजमुला घाटी, विकासनगर घाट और औली के गोरसों बुग्याल होते हुए भी पहुंचा जा सकता है. यह क्षेत्र लगभग 4 से 5 हजार मीटर की ऊंचाई पर हिमालय में मौजूद है, जो अपने आप में सबकी उत्सुकता बढ़ा देता है. वहीं साहसिक पर्यटन और पहाड़ के शौकीनों के लिए बुग्याल रोमांचित करने वाला है. हालांकि यह क्षेत्र आज भी देश दुनिया के लोगों की नजरों से कोसों दूर है और यहां ट्रेकिंग के शौकीन लेकिन गिने-चुने लोग ही यहां आते हैं.
यह है धार्मिक मान्यता
वैसे तो पहाड़ों में बुग्यालों को वन परियों, जिसे स्थानीय बोली भाषा में ‘ऐड़ी आंछरी’ कहा जाता है, का निवास स्थान और नृत्य स्थल माना जाता है. स्थानीय लोगों का मत है कि वन परियों द्वारा डियालीसेरा में धान की रोपाई के समय रोपाई की जाती है और जब धान की फसल की कटाई होती है, तो उस समय यहां उगे धान को वन परियां काटती हैं. डियालीसेरा के धान के शेरों से यह अवधारणा प्रचलित है कि जिस साल डियालीसेरा में धान पर बालियां नहीं आती हैं, उस समय क्षेत्र में धान की अच्छी फसल नहीं होती है. डियालीसेरा में जैसे पारंपरिक या मूलतः शेरों की कुल या गूल होती है, वह भी किसी सुंदरता से कम नहीं है.
यह कहते हैं स्थानीय ट्रेकर्स
स्थानीय ट्रेकिंग के व्यवसाय से जुड़े लोग बताते हैं कि डियालीसेरा ट्रैक साहसिक ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए बेहद माकूल स्पॉट है, लेकिन सही प्रचार प्रसार न होने से प्रकृति का ये खजाना दुनिया की पहुँच से दूर है. साथ ही वह बताते हैं कि क्षेत्र पर्यटन के लिए बेहद खास है लेकिन बावजूद इसके पर्यटन विभाग का भी इस ओर ध्यान नहीं है. वह कहते हैं कि जब भविष्य में यह क्षेत्र ट्रेकिंग स्पॉट के रूप में विकसित होगा, तो इससे स्थानीय लोगों आजीविका मिलने के साथ साथ पलायन भी रुकेगा.देखना है कि सरकार की नज़र ए इनायत यहाँ कब होगी….
दुल्हन जब दूल्हे के घर बारात लेकर आती है तो…. https://shininguttarakhandnews.com/tradition-jaunsar-bawar/