38th National Games 2025 की शानदार यादें

मैदान पर बहा पसीना और दिलों में अपनापन पिघल गया

विशेष रिपोर्ट, 15 फ़रवरी: 38वें राष्ट्रीय खेल(38th National Games) राष्ट्रीय एकता का उत्सव, जहां संस्कृतियां आपस में घुल-मिल गईं। उत्तराखंड की वादियों में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल(38th National Games) न केवल खेल प्रतिभाओं के प्रदर्शन का मंच बने, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक मेलजोल के जीवंत उदाहरण भी बने। देशभर से आए 10,000 से अधिक खिलाड़ी, कोच और अधिकारी यहां न केवल प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों से परिचित होकर एक नई पहचान बना रहे हैं।

38th National Games

यह आयोजन भारतीय विविधता के बीच एकता का उत्सव बन गया है, जहां भाषा, परंपराओं और खानपान की दीवारें टूट गई हैं और सब एक बड़े परिवार की तरह जुड़ गए हैं। नाश्ते की टेबल पर दक्षिण भारत के वड़ा सांभर के साथ उत्तराखंडी झोली-भात और पंजाबी राजमा एक साथ परोसे जा रहे हैं। महाराष्ट्र, असम और केरल के खिलाड़ी एक ही टेबल पर बैठकर नए स्वादों का अनुभव कर रहे हैं। भोजन के दौरान वे अपने-अपने राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों के बारे में चर्चा करते हैं, जिससे एक अनोखा सांस्कृतिक आदान-प्रदान हो रहा है।

खेलों से परे, रिश्तों की डोर मजबूत हुई मैदान पर भले ही खिलाड़ी अपने-अपने राज्यों के लिए खेल रहे हों, लेकिन मैदान के बाहर दोस्ती और आपसी भाईचारे की अनगिनत कहानियां बन रही हैं। बैडमिंटन कोर्ट पर एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी रहे खिलाड़ी, शाम को फैन पार्क में साथ बैठकर हंसी-मजाक करते दिखते हैं। हमने एक ऐसा भावनात्मक क्षण भी देखा, जो इन खेलों की आत्मा को दर्शाता है। डाइनिंग हॉल में काम करने वाले एक वॉलंटियर की कुछ खिलाड़ियों से गहरी दोस्ती हो गई थी। जब उन खिलाड़ियों का खेल समाप्त हुआ और वे वापस लौटने लगे, तो विदाई का पल भावुक कर देने वाला था। वॉलंटियर ने उन्हें गले लगाया, उनकी आंखों में आंसू थे, और खिलाड़ी भी इस पल को जीभरकर महसूस कर रहे थे। यह सिर्फ एक औपचारिक विदाई नहीं थी, बल्कि उन रिश्तों की निशानी थी, जो इन खेलों ने बनाए।

फैन पार्क में लोकनृत्य और संगीत के सुरों से जुड़ा भारत हर शाम फैन पार्क में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जहां विभिन्न राज्यों के खिलाड़ी और अधिकारी न केवल दर्शक बनकर, बल्कि कलाकार बनकर भी शामिल हो रहे हैं। जब उत्तराखंड के कलाकारों ने झोड़ा की प्रस्तुति दी, तो महाराष्ट्र, बंगाल और केरल के खिलाड़ियों ने भी कदम से कदम मिला दिया। इसके बाद जब भांगड़ा की धुन बजी, तो फैन पार्क पंजाबी जोश से गूंज उठा। तमिलनाडु और असम के खिलाड़ी भी ढोल की थाप पर झूमने लगे। यह वही क्षण था, जब लगा कि भारत की विविध संस्कृतियां एक-दूसरे में घुल-मिल रही हैं, एक नई ऊर्जा, एक नई पहचान बना रही हैं।

उत्तराखंड की संस्कृति से मिला देशभर के खिलाड़ियों को परिचय

38th National Games

खिलाड़ी केवल प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं को भी करीब से देख रहे हैं। कुछ खिलाड़ी स्थानीय बाजारों से पहाड़ी टोपी और पारंपरिक वस्त्र खरीद रहे हैं, तो कुछ गंगा आरती में शामिल होकर आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव कर रहे हैं। उत्तराखंड के स्थानीय व्यंजन भी खिलाड़ियों को खूब पसंद आ रहे हैं।

38th National Games

राष्ट्रीय एकता की मिसाल बना यह आयोजन 38वें राष्ट्रीय खेल(38th National Games) ने यह साबित कर दिया है कि खेल केवल जीत-हार का माध्यम नहीं हैं, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहां संस्कृतियां आपस में मिलती हैं, दोस्ती के नए रिश्ते बनते हैं और देश की एकता को और अधिक मजबूती मिलती है। यह आयोजन न केवल पदकों तक सीमित रहेगा, बल्कि यहां बने नए रिश्ते, आपसी समझ और सांस्कृतिक जुड़ाव भारत की विविधता में एकता के भाव को और अधिक सशक्त बनाएंगे। उत्तराखंड की धरती पर हुआ यह आयोजन आने वाले वर्षों तक खेलों के जरिए राष्ट्रीय एकता की प्रेरणा देता रहेगा।

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