Harela Uttarakhand सुबह वो एक ग्रहणी के रूप में अपना पारिवारिक दायित्व निभाती हैं और फिर सामाजिक कर्तव्य निभाने के लिए निकल पड़ती हैं गाँव , कस्बों और कॉलोनियों की ओर …. गाडी में सैकड़ों पौधे , दिल में हरित उत्तराखंड का संकल्प और लोगों को वृक्षारोपण के प्रति जागरूक करने का मिशन जी हां हम आपको बता रहे हैं देहरादून की ट्री वुमेन लक्ष्मी अग्रवाल के उस मिशन के बारे में जिसमें उन्होंने बीते दो सालों में ही लाखों पौधे या तो खुद लगाए या लोगों को प्रेरित कर लगवाए हैं। इसीलिए अब लोग उन्हें ट्री वुमेन के नाम से भी पहचानने लगे हैं।
हरेला पर करें देवभूमि का शृंगार – लक्ष्मी अग्रवाल Harela Uttarakhand
हरेला पर्व पर उनका ये अभियान और भी तेज़ हो जाता है जहाँ फलदार , फूल के हजारों पौधे रोजाना बाँट रही है। लक्ष्मी अग्रवाल कहती हैं कि इस अभियान का उद्देश्य माँ के नाम पर एक पेड़ लगाना और एक स्थायी स्मृति बनाना है, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा बल्कि एक हरे और अधिक समृद्ध उत्तराखंड के निर्माण में भी योगदान देगा। माँ और प्रकृति दोनों ही जीवन का मूल आधार हैं और इस पहल के माध्यम से हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
हरेला महापर्व के महीने में एक बार फिर भाजपा की सीनियर लीडर लक्ष्मी अग्रवाल निकल पड़ी है गाँव गाँव फलदार , रंगबिरंगे फूलों वाले पौधों को बांटने और खुद श्रमदान करते हुए देहरादून शहर और सहसपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण कर रही हैं। इसी कड़ी में उन्होंने सैनिक कॉलोनी , अंबीवाला , उम्मेदपुर में फल और फूल के पौधे लगाकर लोगों को हरेला पर्व की बधाई दी और एक पेड़ माँ के नाम अभियान से लोगों को जोड़ा।
इस दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने लक्ष्मी अग्रवाल के साथ पौधा रोपण किया जिसमें वाणी भूषण गैरोला , साधना उप्रेती , रीता उप्रेती , शिवानी उप्रेती , सुनीता चौहान , बबिता भंडारी , रेखा रावत , केदार सिंह रावत , सूर्य प्रकाश उप्रेती सहित बड़ी संख्या में लोगों ने वृक्षारोपण कर हरेला पर्व मनाया।
1 लाख पौधरोपण का संकल्प – लक्ष्मी अग्रवाल
आपको बता दें क़ी बीते साल 2024 में भी समाजसेवी और बीजेपी मीडिया पैनलिस्ट लक्ष्मी अग्रवाल ने हरेला के महीने में 1 लाख पौधे बांटते हुए हर दिन सैकड़ों पौधे खुद लगाए थे जो आज भी देहरादून की अनेक कॉलोनियों , सहसपुर विधान सभा की दर्जनों ग्राम सभाओं और लोगों के घरों में हरे भरे दिखाई दे रहे हैं। सैनिक कॉलोनी में हरेला पर्व के मौके पर वृक्षारोपण के दौरान स्थानीय लोगों को अभियान से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल पत्तियों की सरसराहट नहीं, संस्कृति, संकल्प और समाज की सामूहिक साधना का स्वर है। यह अभियान नहीं, धरती मां की गोद में डाला गया श्रद्धा का बीज है, जो अब पीढ़ियों तक छाया देगा, संस्कार देगा और कहेगा कि ‘मैंने एक पेड़ मां के नाम लगाया है।’ आइये हम और आप भी एक पौधा लगाए और अपनी धरा को हराभरा बनाएं।