Harish Rawat : हरीश रावत का माफ़ीनामा

Harish Rawat उत्तराखंड की राजनीती के सबसे अहम और दिग्गज नेताओं में शुमार पूर्व मुख्यमंत्री और अपनों के ही निशाने पर अक्सर रहने वाले हरदा का दर्द फिर छलक पड़ा है। पार्टी में , नेताओं में पार्टी मुख्यालय में गालिबन दिल्ली दरबार में अब खुद को अकेला महसूस कर रहे उत्तराखंडियत का झंडा बुलंद करने वाले गाहे बगाहे सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा और भड़ास को धारदार शब्दों से निकालने में कुशल बुजुर्ग कोंग्रेसी हरीश रावत एक बार फिर अपने कालखंड को याद कर सफाई और पीड़ा को बयान कर रहे हैं।

फेसबुक वॉल से साभार Harish Rawat

2016 में किस तरीके से दल-बदल की प्लॉटिंग हुई, षड्यंत्र रचा गया, कैसे उसको एग्जीक्यूट किया गया, कैसे मेरे स्टिंग को एग्जीक्यूट किया गया? कौन लोग उस सबके पीछे थे और उसका क्या प्रभाव हमारी कांग्रेस की राजनीति में पड़ा तथा उसका क्या प्रभाव राज्य के विकास पर पड़ा? यह एक ऐसा अध्याय है जिस पर मुझको कुछ न कुछ कहना चाहिये। कम से कम समय और सत्यता, दोनों मुझे यह अपेक्षा करती हैं कि मैं अपनी जानकारी के तथ्यों को लोगों के सामने रखूं। एक बहुत वरिष्ठ पत्रकार ने मुझसे अपने एक लोकल टीवी कार्यक्रम में बातचीत की और उस दौरान उन्होंने मुझसे पूछा, और बड़ा सरल सा व बहुत सही सवाल पूछा कि आप श्री उमेश के विषय में सब कुछ जानते थे और आप उसके बाद भी उसके चंगुल में कैसे आ गए ! तो मैंने उनका दोनों तथ्य बताए। पहला तथ्य यह बताया कि मुझे श्री उमेश की सारी कलाओं के विषय में जानकारी नहीं थी और उन्होंने किस तरीके से भाजपा में खेल दिखाया है और कौन उनके खेल के पीछे पहले खड़ा था, आज खड़ा है, अब तो थोड़ा समझने लग गया हूं। लेकिन उस समय मुझे यह सब बातें ज्ञात नहीं थी। मैंने उनसे कहा कि मुझे कहीं पर भी दल-बदल करके दूसरी तरफ गए हुए विधायकों की वापसी की आवश्यकता ही नहीं थी, क्योंकि हम उनके निष्कासन की प्रक्रिया को प्रारंभ करवा चुके थे और हमें पूरा भरोसा था कि कानून हमारे साथ है और यह सब अयोग्य घोषित होंगे, जो हुए भी बल्कि माननीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शायद महापापी तक कहा।

मुझे श्री उमेश की सारी कलाओं के विषय में जानकारी नहीं थी – रावत 

मगर एक वातावरण दिल्ली में बनाया गया, जिस वातावरण में हमारे कुछ वरिष्ठ नेतागणों को यह बात समझ में आई कि मैं क्यों वापस नहीं लेना चाहता, जब कुछ लोग वापस आना चाहते हैं। खैर मैं उन वरिष्ठ नेताओं के नाम जिनका मुझे टेलीफोन आया, मैं वह नाम नहीं बताऊंगा। लेकिन अपने एक सहयोगी का नाम जरुर बताऊंगा, श्री हरिपाल रावत जी मेरे सलाहकार थे उन्होंने मुझसे बार-बार दबाव डाला कि आप उनसे बात करें। आप एक बार कहेंगे तो श्री हरक सिंह रावत जी वापस आ जाएंगे। सुबह 7 बजे एक सम्मानित आदरणीय महिला मेरे पास आई और मेरे सुरक्षा अधिकारी ने मुझे बताया कि साहब वह रो रही हैं, रोते हुए आई हैं तो मैंने सोचा कि कोई पीड़ित महिला है तो मैंने उस बहन को अपने पास बुला लिया। उस बहन ने बताया कि वह किसी अर्ध सरकारी विभाग में कार्यरत बताया, नाम मुझे याद नहीं है। वह लगातार रोती जा रही थी और बोल रही थी कि वह निर्दोष है, भोला है, बहुत सारी चीज़ें का रही थी। जब मैंने पूछा कौन है वह भोला, कौन है वह निर्दोष ? तो उन्होंने एक जो नाम लिया। मैंने एक सीधा सवाल किया कि आपका उनसे क्या संबंध है? तो उन्होंने कहा मैं उनकी मित्र हूं, अंग्रेजी में महिला मित्र को गर्लफ्रेंड ही कहा जायेगा।

लेकिन मैंने यह कहते हुए कि किस तरीके से भूमिका बनी, एक नहीं तीन-तीन महिलाओं ने किस प्रकार से मेरे सामने रुदन किया। बल्कि एक महिला का तो मैं नाम ही भूल गया था। अब समझ में आया है जब उन्होंने कुछ अप्रत्यक्ष तौर पर मेरे पास धमकी भेजी है कि शायद मित्र के रूप में मैंने उनके नाम का उल्लेख नहीं किया था और मैंने किसी बुरे अर्थ में महिला मित्र कहा भी नहीं और कोई नाम भी नहीं लिया। लेकिन फिर भी यदि इस शब्द से मेरी किसी बहन को, क्योंकि किसी की भी किसी तरीके से किसी से भी मित्रता हो सकती है तो मैं किसी की भावना को ठेस लगी हो तो मैं क्षमा चाहता हूं।


लेकिन मेरा उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था और न मैंने नाम लिया। हां एक नाम मैंने जरूर लिया श्रीमती सोनिया आनंद जी का, क्योंकि वह घोषित रूप से जो बात बाहर कहती हैं, वह सत्यता है तो उसको छुपाने की भी कोई जरूरत नहीं थी और मैं समझता हूं कि वह एक भद्र महिला है, वह अपने इस भाई के साथ न्याय करेंगी, जिसको कभी-कभी वह राखी बांधने भी आती हैं कि उन्होंने भी मेरे साथ किस तरीके से रुदन और आग्रह, दोनों को मिलाकर के और मुझे, कुल मिलाकर भावनात्मक रूप से इस तरीके से तैयार कर लिया गया और उसके बाद फिर एक ऐसे क्षेत्र में, जहां कोई सामान्य व्यक्ति नहीं आ सकता वहां मुझको श्री उमेश कुमार जी के दर्शन हुए। खैर वह दर्शन और सब बातचीत पर मैंने कुछ बातें कही हैं, कुछ और बातें मुझे लगता है समय अपेक्षा कर रहा है, मैं उन बातों को भी कालांतर में कहूंगा। फिर भी यदि किसी भी महिला का दुःख या उसके मान पर चोट लगी हो तो उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं।

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