Hindu marriage: दुल्हन क्यों करती है दहलीज की पूजा

Hindu marriage हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, इनमें से विवाह संस्कार सबसे प्रमुख है। इस संस्कार के दौरान अनेक परंपराओं का पालन किया जाता है। इन परंपराओं के पीछे कोई न कोई कारण जरूर छिपा होता है। इनमें से कुछ कारण धार्मिक, कुछ वैज्ञानिक तो कुछ मनोवैज्ञानिक होते हैं। विवाह के बाद जब दुल्हन की विदाई होती है, उसके पहले दुल्हन द्वारा अपने घर की दहलीज यानी चौखट की पूजा की जाती है। इसे देहली पूजन कहते हैं। इस परंपरा के पीछे गहरी मनोवैज्ञानिक सोच छिपी है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

दुल्हन कब और कैसे करती है देहली पूजा ? Hindu marriage



वर-वधू जब 7 फेरे लेकर पति-पत्नी बन जाते हैं, इसके बाद जब विदाई का समय आता है। इसके ठीक पहले दुल्हन को उसके घर ले जाया जाता है जहां वो घर की चौखट यानी दहलीज की पूजा करती है, इसे ही देहली पूजा कहते हैं। इस परंपरा के दौरान घर की कुछ महिलाएं भी साथ होती हैं। देहली पूजा में दुल्हन घर की दहलीज पर कुंकुम, हल्दी और चावल आदि चढ़ाती है। देहली पूजन के बाद ही दुल्हन की विदाई होती है।

दुल्हन क्यों करती है देहली पूजा?
दुल्हन द्वारा अपने घर की देहली पूजन करने के पीछे एक मनोवैज्ञानिक पक्ष है। उसके अनुसार, जब परिवार में लड़की का जन्म होता है तो उसे ये सिखाया जाता है कि बिना पूछे उसे घर की दहलीज के बाहर कदम नहीं रखना है और जब लड़की शादी करके अपने घर से विदाई लेती है तो वह उस देहली की पूजा करती है, जिसमें रहकर उसने अपने जीवन के इतने साल बिताए। ये परंपरा उस घर के प्रति सम्मान प्रकट जैसी है, जिसमें लड़की ने अपना बचपन बिताया होता है।


घर की देहली में किस देवता का वास होता है?
धर्म ग्रंथों में देहली विनायक का वर्णन भी मिलता है। देहली विनायक यानी घर की चौखट पर निवास करने वाले भगवान श्रीगणेश। दीपावली पर देहली विनायक की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। देहली विनायक की कृपा से ही घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। इसलिए घर की देहरी को बहुत ही खास माना गया है।