Historical Nainital उत्तराखंड के नैनीताल का इतिहास बहुत समृद्ध रहा है। इस शहर को अंग्रेजों ने बसाया था। अंग्रेजों की पहली पसंद होने के कारण इस शहर को अंग्रेजों ने ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। नैनीताल में आज भी कई ऐसी चीजें उपस्थित हैं, जो नैनीताल का व्यापक इतिहास समेटे हैं। ऐसी ही एक दुकान नैनीताल की प्रसिद्ध माल रोड में स्थित ‘गुड लक सैलून’ है। ये आजादी के बाद का नैनीताल का पहला सैलून है। वर्ष 1952 से लगातार यहां लोग बाल कटवाने आ रहे हैं। इस सैलून के वर्तमान मालिक नईम अहमद बताते हैं कि उनके पिता और दादा नैनीताल में ही रहते थे। उनसे पहले वह अंग्रेजों के बाल बनाया करते थे। नईम बताते हैं कि वर्ष 1978 में उनके पिता खलील अहमद की मौत हो जाने के बाद वह स्वयं इस दुकान को संभाल रहे हैं।
आजादी के बाद का नैनीताल का पहला सैलून Historical Nainital
नईम ने कहा कि आजादी मिलने से पहले उनकी नैनीताल के जयलाल शाह बाजार में दुकान थी। जहां उनके दादा और पिता खलील अहमद रहा करते थे। इस दुकान में कई अंग्रेज उस समय बाल कटवाने आते थे। उन्होंने कहा की उस जमाने में उनके पिताजी घोड़े में बैठकर अंग्रेजों के बाल काटने जाते थे। लेकिन, वर्ष 1947 के बंटवारे के बाद उनकी दुकान में आग लगा दी गई। उनके पिताजी भी उस दुकान को छोड़ कर चले गए। इसके बाद उनके पिताजी ने वर्ष 1952 में माल रोड में इस दुकान की आरंभ की। आजादी के बाद भी वर्ष 1972 तक अंग्रेज उनकी दुकान में बाल कटवाते रहे। हालांकि, इसके बाद हिंदुस्तान से अंग्रेज लगभग चले गए थे।
अंग्रेज ने ही दिया था दुकान का नाम
नईम बताते हैं कि उनकी वर्तमान में नैनीताल शहर में दो सैलून हैं, जो उनके और उनके बेटों द्वारा संचालित है। नैनीताल की माल रोड और बड़ा बाजार में आपको गुड लक सैलून मिल जाएगा। यह आज नैनीताल का फेमस सैलून है। लेकिन, इस सैलून का नाम अंग्रेजों ने ही रखा था। नईम आगे बताते हैं कि उस दौर में उनके पिताजी नैनीताल के प्रतिष्ठित शेरवुड कॉलेज के अंग्रेज प्रिंसिपल के बाल काटा करते थे। तो जब उनके पिताजी द्वारा प्रिंसिपल को माल रोड में दुकान खोले जाने की बात बताई गई, तो उन्होंने एक लिफाफे में कुछ पैसे और एक पेपर में ‘गुड लक खलील’ लिखकर भेजा। इसके बाद उनके पिताजी द्वारा दुकान का नाम ‘गुड लक’ रख दिया गया।
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