History of Exam बचपन से लेकर बड़े होकर नौकरियों तक के लिए परीक्षाओं का चलन है. बिना इसके तो हम किसी भी एजुकेशन सिस्टम में आगे बढ़ने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. चाहे वह स्कूल की परीक्षा हो, बोर्ड परीक्षा, प्रतियोगी परीक्षा या प्रवेश परीक्षा, ये बहुत ही सामान्य पैटर्न बन चुकी है. दुनिया में बहुत तरह की परीक्षाएं होती हैं लेकिन इसकी शुरुआत कहां से हुई होगी ?
परीक्षा का इतिहास बड़ा रोचक है History of Exam
परीक्षाएं हमारे एजुकेशन सिस्टम की रीढ़ हैं. बिना इसके बच्चों के ज्ञान को परखा ही नहीं जा सकता है. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर वो कौन सा शख्स था, जिसने परीक्षा जैसी चीज़ का आविष्कार किया होगा. कैसे ये पैटर्न पूरी दुनिया में अपनी पैठ बनाता चला गया? इन्हीं तथ्यों को बताती हुई ये रिपोर्ट हम आपके लिए लाए हैं, जो काफी दिलचस्प है.
परीक्षा लेने का सिस्टम कैसे शुरू हुआ
कई बार पढ़ाई से परेशान बच्चे सोचते होंगे कि आखिर वो कौन सा शख्स है, जिसने परीक्षा जैसी चीज़ को बनाया. तो हम उसका नाम बताते हैं – दुनिया को परीक्षा का कॉन्सेप्ट बताने वाले शख़्स का नाम है हेनरी फिशेल. हेनरी फिशेल एक अमेरिकी बिज़नेसमैन थे. उन्होंने ही सबसे पहले छात्रों की सामान्य ज्ञान की जानकारी को जांचने के लिए टेस्ट की शुरुआत की. हालांकि परीक्षा के कॉन्सेप्ट को अपनाने वाला और उसे बड़े स्तर पर इंट्रोड्यूस करने वाला पहला देश चीन था. चीन ने ही ‘दि इंपीरियल एग्जामिनेशन’ नाम की दुनिया की पहली परीक्षा आयोजित की थी.
चूंकि भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी आई तो उसने ही 1853 में सिविल सर्वेंट्स को नियुक्त करने के लिए परीक्षाओं की शुरुआत की गई. लंदन में ये परीक्षा होती थी, जिसमें शारीरिक और मानसिक मापदंडों पर उम्मीदवार को खरा उतरना होता था. बाद में ब्रिटिश सरकार ने परीक्षाओं को सही तरीके से कराने के लिए लोक सेवा आयोग का गठन किया गया. तब से एक्ज़ाम हमारी ज़िंदगी में कुछ यूं आया कि अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग जगहों पर इसका प्रसार होता गया.भारत में परीक्षाओं की शुरुआत की बात करें, तो इनकी शुरुआत भारत में साल 1853 में हुई थी। दरअसल, इसके लिए इंग्लैंड की संसद में प्रस्ताव लाया गया था, जिसके तहत लंदन में सिविल सेवकों के लिए परीक्षा का आयोजन किया जाता था
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