Ideal life Story कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो… इन चंद लाइनों का महत्व तब और बढ़ जाता है, जब पत्थर ऐसे हाथों से उछाला जाता है, जो गंभीर बीमारी से पीड़ित हो। यूपी के गोरखपुर की रहने वाली एक ऑटो ड्राइवर की 19 साल की बेटी यशी कुमारी ने ऐसा ही कुछ करिश्मा किया है। दरअसल यशी बचपन से सेरेब्रल पाल्सी जैसी गंभीर बीमाारी से ग्रसित हैं। यशी कुमारी का प्रयागराज के अस्पताल में इलाज चल रहा है। कठिन चुनौतियों के बावजूद यशी ने जिंदगी ने संघर्ष जारी रखा। पढ़ने में अच्छी यशी का एमबीबीएस कोर्स के लिए सेलेक्शन हुआ है। वह अब कोलकाता मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई करने जा रही हैं।
Ideal life Story यशी के संघर्ष की कहानी

- Ideal life Story यशी को बचपन में ही सेरेब्रल पाल्सी का पता चला था और दाहिने ऊपरी और निचले अंगों में समस्या है। हालांकि उन्हें चलने और दाहिने हाथ से काम करने में कठिनाई होती है, फिर भी वह अपने सभी नियमित कार्यों को मैनेज करती हैं। उन्होंने कहा कि ‘मेरे माता-पिता को मेरे सेरेब्रल पाल्सी के बारे में तब पता चला जब मैं तीसरी कक्षा में थी, यह उनके लिए एक झटके के रूप में आया क्योंकि वे जानते थे कि मुझे एक सामान्य बच्चे के रूप में जीवन जीने का मौका नहीं मिलेगा।’
Ideal life Story डॉ जैन ने दिखाई आशा की किरण

- Ideal life Story यशी बताती है कि प्रयागराज में जब हम डॉ जितेंद्र कुमार जैन के संपर्क में आए तो उन्हें आशा की एक किरण दिखाई दी। उन्होंने न केवल मेरा इलाज शुरू किया, बल्कि मुझे मेरी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित और समर्थन भी किया। मुझे हमेशा उन चीजों को करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था जो दूसरों को लगता था कि मेरे जैसे किसी शख्स की ओर से नहीं किया जा सकता है। बता दें कि यशी के पिता सीमित साधनों के साथ एक ऑटो रिक्शा चालक हैं, इसलिए डॉ जैन लड़की को हर तरह की सहायता प्रदान कर रहे हैं। डॉ जैन ने बताया, ‘यह लड़की हमेशा बहुत सकारात्मक, आत्मविश्वासी, मेहनती और अपने सपनों को साकार करने के लिए दृढ़ रही है।’ उन्होंने कहा, ‘उन्हें कड़ी मेहनत और लगन से नीट पास करने का भरोसा था।’

- Ideal life Story हाई स्कूल की पढ़ाई 94 फीसदी अंकों के साथ पूरी करने के बाद यशी ने 2019 में नीट की कोचिंग के लिए कोटा जाने का फैसला किया, लेकिन कोविड महामारी ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। हालांकि, उसने खुद पर विश्वास नहीं खोया और हाइब्रिड मोड (ऑनलाइन और ऑफलाइन) के माध्यम से गोरखपुर में तैयारी शुरू कर दी। यशी ने कहा, ‘मैं हर साल कई फिजियोथेरेपी सेशन करती थी और प्रयागराज का दौरा करती रहता थी’ ‘डॉ जैन मुझे नीट लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहे और मैंने इसे पहले प्रयास में ही पास कर लिया। वह आगे कहती हैं, ‘उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था जब उन्हें एशिया के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेजों में से एक में ‘विकलांग व्यक्ति’ श्रेणी के तहत एमबीबीएस की सीट मिली।’ उन्होंने कहा ‘मेरे स्वास्थ्य के मुद्दों ने कई बार बाधा पैदा की, लेकिन सभी बाधाओं के खिलाफ खुद को साबित करने की मेरी निरंतर इच्छा ने मुझे कठिन समय में आगे बढ़ने में मदद की।’ उन्होंने कहा, ‘दूसरों से अलग होने पर भी किसी को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। वह कहती हैं, ‘अपनी यात्रा के दौरान मुझे जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उन्होंने मुझे मजबूत, सशक्त लड़की बना दिया है।
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