Independence Day 2023 : महाराज ने बयां किया बंटवारे का दर्द

देहरादून से अनीताआशीष तिवारी की रिपोर्ट – 

 

Independence Day 2023 एक तरफ यहां पूरा देश जश्ने आजादी में डूबा है तो वहीं एक दिन पहले बंटवारे के दर्द को भी लोग याद कर शहर उठाते हैं उत्तराखंड में भी उसे दर्द को बयां करते हुए वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की बेहद भावुक होते और उन्होंने मौजूद लोगों से उस दौर का दर्द साझा करते हुए कई बड़ी बातें कहीं।बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है ये कहना है देश के मशहूर आध्यत्मिक गुरु और वरिष्ठ राजनेता सतपाल महाराज का जो ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर बोल रहे थे।

 

Independence Day 2023 बंटवारे का दर्द याद कर भावुक हुए महाराज

 

Independence Day 2023

भारत के इतिहास में आज का दिन ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। दरअसल actually अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख आंसुओं से लिखी गई है। यही वह तारीख है जब देश का विभाजन हुआ था।

प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने इस दर्द का ज़िक्र करते हुए 14 अगस्त 1947 को भारत देश के बँटवारे की त्रासदी के पीड़ितों को श्रृद्धांजलि दी और “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” कार्यक्रम में देशप्रेम की अलख जगाई।

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 15 अगस्त को हम आज़ादी का जश्न मनाते हैं, लेकिन but बंटवारे का दर्द आज भी हिंदुस्तान के सीने को छलनी करता है। देश का विभाजन पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी त्रासदी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 14 अगस्त 2021 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बहुत ही भावुक निर्णय लेते हुए तय किया कि हर वर्ष 14 अगस्त को “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के रूप में याद किया जाएगा।

उन्होने कहा कि अखंड भारत के विभाजन की यादें निश्चित ही बहुत भयावह हैं। लेकिन but इन यादों के भुक्तभोगी और प्रत्यक्षदर्शी अब सीमित संख्या में बचे हैं। वर्ष 1947 में अविभाजित भारत की कुल आबादी लगभग 36 करोड़ थी। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़, विभाजन के दौरान हुई साम्प्रदायिक हिंसा और अफ़रा-तफ़री में लगभग बीस लाख लोगों की जानें गईं थी। एक से दो करोड़ के बीच लोग विस्थापित हुए थे। हम सभी जानते हैं कि 1947 में देश ने लाखों लोगों के बलिदान के फलस्वरूप स्वाधीनता प्राप्त की थी। लेकिन but इसी दौरान देश को दो टुकड़ों में बांटे जाने का जख्म भी हमें झेलना पड़ा था।

महाराज ने कहा कि भारत से कटकर पाकिस्तान नया देश बना और बाद में पाकिस्तान के इसी पूर्वी हिस्से ने 1971 में बांग्लादेश के तौर पर एक नए देश की शक्ल ली। लेकिन but भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया था। ऐसे में इस त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देकर “विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस” के आयोजन के जरिए हम भेदभाव, वैमनस्य व दुर्भावना को खत्म कर देश में एकता, सामाजिक सद्भाव का वातावरण स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।

प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेंद्र बिष्ट ने कहा कि जब हमारा देश आजाद हुआ तो इसके साथ ही हमारे देश में विभाजन की घड़ी भी आई थी विभाजन का यह दौर विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक विचारधाराओं के बीच समझौते की कमी को दर्शाता है, हमें यह समझना होगा कि विभाजन सिर्फ हमारी असमंजस में नहीं बल्कि although हमारे समाज के विकास में भी बड़ी रोक हो सकती है।

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