Jagannath Temple : किसका दिल धड़कता है यहाँ ? हैरान करेगा सच

Jagannath Temple भारत के उड़ीसा प्रांत में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर बेहद ही रहस्यमयी है. यहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ विराजमान हैं. यहां के रहस्य आज तक अनसुलझे हैं. यहां पर विराजमान तीनों मूर्तियां लकड़ी की हैं. यह मंदिर चारों धामों में से एक है. मान्यता है कि यहां पर विराजमान मूर्ति में आज भी भगवान श्रीकृष्ण का दिल धड़कता है. हिंदू धर्म में चार धामों का जिक्र है. इनमें से एक उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर भी है. मान्यता है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति में उनका दिल आज भी धड़कता है.

 

मंदिर के ऊपर नहीं दिखता कोई पक्षी Jagannath Temple


इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण, उनकी बहन सुभद्रा और उनके बड़े भाई बलराम की मूर्तियां स्थापित हैं और यह सभी मूर्तियां लकड़ी की बनी हुई हैं. इस मंदिर के कई ऐसे रहस्य हैं, जो आज तक अनसुलझे हुए हैं. मान्यता है कि जब भगवान विष्णु चारों धामों में बसे तो वे सबसे पहले बद्रीनाथ गए और वहां उन्होंने स्नान किया. इसके बाद वे गुजरात के द्वारिका गए, जहां पर उन्होंने अपनी कपड़े बदले और इसके बाद वे जगन्नाथ पुरी गए थे. यहां पर उन्होंने भोजन किया था. सबसे अंत में भगवान विष्णु रामेश्वरम गए थे, जहां पर उन्होंने विश्राम किया था.

मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने जब अपनी देह का त्याग किया था तो उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान उनका पूरा शरीर तो जल गया पर उनका हृदय नहीं जला था. इसके बाद पांडवों ने इस हृदय को समुद्र में प्रवाहित कर दिया था. मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की मूर्ति में स्थापित ब्रह्म तत्व भगवान श्रीकृष्ण का हृदय ही है, जो आप भी धड़कता है.पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की मूर्तियों को भगवान विश्वकर्मा ने बनाया था. इस मंदिर की मूर्तियों को बनाने के लिए भगवान विश्वकर्मा ने एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धारण किया था और वे कमरे में बंद होकर मूर्ति बना रहे थे. मूर्ति बनाते समय उनको राजा ने आकर टोक दिया था, जिस कारण वे मूर्ति को अधूरा छोड़कर चले गए थे.


मंदिर का सिंहद्वार भी है रहस्यमयी
उस दिन से आज भी इस मंदिर में स्थापित मूर्तियां अधूरी हैं. हर 12 साल में इस मंदिर की मूर्तियों को बदल दिया जाता है. इसके बाद उन मूर्तियों में पुरानी मूर्तियों से निकाला गया ब्रह्म पदार्थ स्थापित कर दिया जाता है. ब्रह्म पदार्थ को प्रतिस्थापित करते समय कोई उसे देखता नहीं हैं क्योंकि उसमें इतनी एनर्जी होती हैं कि उसको देखने वाला अंधा भी हो सकता है. पुजारियों का कहना है के ब्रह्म पदार्थ खरगोश की तरह उछलता है. इस कारण माना जाता है कि यह भगवान श्रीकृष्ण का हृदय ही है, जो आज भी धड़कता है. जगन्नाथ पुरी मंदिर के सिंहद्वार का रहस्य भी आज तक किसी को समझ नहीं आया है. जब तक आपका एक कदम सिंह द्वार के अंदर नहीं जाएगा तब तक आपको समुद्र की लहरों की आवाज और वहां जलने वाली चिताओं की स्मेल आती रहेगी. जैसे ही आपका एक पैर सिंहद्वार के अंदर जाएगा तो लहरों की आवाज और महक दोनों ही आनी बंद हो जाती हैं. वहीं, सिंहद्वार से निकलते ही वापस आने लगती है.

इस मंदिर के ऊपर कोई भी पक्षी नहीं उड़ता है. आज तक किसी ने इस मंदिर पर कोई पक्षी बैठा हुआ भी नहीं देखा है. इसी कारण मंदिर के ऊपर हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर के लिए नो फ्लाइंग जोन है. मंदिर का ध्वज रोज बदला जाता है. इसको बदलने के लिए लोग उल्टा चढ़ते हैं. मान्यता है कि अगर इसको न बदला जाए तो यह मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाएगा. यह झंडा हवा की विपरीत दिशा में ही उड़ता है. मंदिर के शिखर पर सुदर्शन चक्र भी है. इसको आप कहीं से भी देखें पर यह हमेशा आपकी ओर ही दिखाई देगा. जगन्नाथ मंदिर की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है. यहां 500 रसोइया और 300 हेल्पर काम करते हैं. यहां पर बनने वाला प्रसाद कम नहीं पड़ता है, चाहे भक्त कितने भी लाख क्यों न आ जाएं.

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.

ShiningUttarakhandNews

We are in the field of Electronic Media from more than 20 years. In this long journey we worked for some news papers , News Channels , Film and Tv Commercial as a contant writer , Field Reporter and Editorial Section.Now it's our New venture of News and Informative Reporting with positive aproch specially dedicated to Devbhumi Uttarakhand and it's glorious Culture , Traditions and unseen pictures of Valley..So plz support us and give ur valuable suggestions and information for impressive stories here.