lakhamandal temple history उत्तराखंड राज्य देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां देवों का वास होता है। उत्तराखंड खूबसूरती से लेकर प्राचीन विरासत के मामलों में बेहद धनी है। खासतौर पर यहां मौजूद मंदिरों की मान्यताएं हैं। दुनियाभर से लोग मंदिरों के दर्शन करने आते हैं। देहरादून से करीब 100 किमी दूर लाखामंडल गांव है। इस गांव में भगवान शिव का एक मंदिर है, जिसकी मान्यता बेहद ज्यादा है। आज हम आपको लाखामंडल मंदिर के बारे में बताएंगे।
कहां है यह मंदिर ? lakhamandal temple history

चकराता से करीब 40-45 किमी दूर लाखामंडल गांव है। यहां भगवान शिव का मंदिर है, जो लाखामंडल शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस गांव में रहस्यमी गुफाएं हैं। कहा जाता है कि यह वह जगह है जहां, दुर्योधन ने पांडवों को मारने के लिए षडयंत्र रचा था। पांडवों को लाक्षागृह में रखा गया था, लेकिन पांडव यहां से बच निकले थे।
ऐसे पड़ा मंदिर का नाम
यह बात हम सभी जानते हैं कि हर मंदिर की मान्यता और उसके पीछे अलग कहानी होती है। लाखामंडल का नाम भी इसकी बनने की कहानी पर रखा गया। लाखा का अर्थ लाख और मंडल यानी लिंग। यानी लाख लिंग। कहा जाता है कि पांडवों ने यहां इस जगह पर लाख शिवलिंग स्थापित किए थे। इसके चलते ही इस गांव का नाम लाखामंडल पड़ा था।
लाखामंडल मंदिर की बनावट केदारनाथ मंदिर जैसी है। मंदिर के अंदर भगवान शिव, पार्वती गणेश, दुर्गा, विष्णु , काल भैरव, कार्तिकेय, सरस्वती और सूर्य हनुमान की मूर्तियां हैं। मंदिर के बगल में आपको कई शिवलिंग देखने को मिलेंगे। मंदिर के अंदर पैरों के निशान है। कहा जाता है कि यह निशान मां पार्वती के हैं।
लाखामंडल शिव मंदिर में हर शाम पूजा होती है। इस पूजा में गांव के बच्चे और बुजुर्ग सभी शामिल होते हैं। शाम 8 बजे के बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। यहां की आरती आपके मन को मोह लेगी। आपको भी एक बार इस गांव में जाना चाहिए। मंदिर के बाहर एक शिवलिंग मौजूद है। आपको इस शिवलिंग में अपना चेहरा नजर आएगा। शिवलिंग में अपनी शक्ल देखने को शुभ माना जाता है। यह शिवलिंग द्वापर और त्रेता युग से है। अगर आप इस बार देवभूमि की सैर पर आ रहे हैं तो एक बार पांडवों के इस पौराणिक मंदिर में मत्था ज़रूर टेकियेगा।
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