Latu Devta Mandir आज हम बात करेंगे उत्तराखंड के रहस्यमय लाटू देवता मंदिर के बारे में जहां श्रद्धालु को मंदिर में प्रवेश करने की पाबंदी होती है । यहाँ तक की मंदिर के पुजारी को भी भगवान के दर्शन की अनुमति नहीं है। भगवान की पूजा करने के लिए पुजारी को आँख,मुंह और नाक पर पट्टी बांधकर ही मंदिर में दाखिल होना होता है और बाहर आने पर ही पट्टी खोलनी पड़ती हैं। तो चलिए जानते हैं ये मंदिर कहां है और यहां अनोखी तरह की पूजा अर्चना के पीछे क्या कारण है।
मंदिर में आँखों पर पट्टी बांधकर होती है पूजा Latu Devta Mandir

उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल नामक ब्लॉक में लाटू देवता का अनोखा मंदिर है , इस मंदिर का निर्माण करीब 1000 साल पहले हुआ था। और साल में एक ही बार इस मंदिर के कपाट खुलते हैं। मान्यता है कि लाटू देवता नागराज के रूप में यहां मौजूद हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक लाटू देवता मां पार्वती की स्वरूप उत्तराखंड की नंदा देवी के धर्म भाई हैं।
मान्यता है कि मंदिर में नागराज अपनी मणि के साथ रहते हैं, जिसे देख पाना आम लोगों के लिए संभव नहीं है। यहाँ तक की उसको देखने पर वह अंधे तक हो सकते हैं और इसमें उनकी जान भी जा सकती है। पुजारी भी नागराज के रूप को देखकर डर न जाएं, इसलिए आंखों पर पट्टी बांधकर दरवाजा खोलते हैं और पूजा अर्चना करते हैं। यही नहीं मुंह पर पट्टी भी इसलिए बांधते हैं कि कहीं उनके मुंह की गंध देवता तक और न ही नागराज की विषैली गंध पुजारी की नाक तक न पहुंच पाए।
मान्यता के मुताबिक भक्तों को मंदिर से 75 फीट की दूरी पर पूजा करनी पड़ती है। देवभूमि में हर 12 वर्ष में आयोजित होने वाली एशिया की सबसे लंबी पैदल धार्मिक यात्रा नंदा देवी की राज जात यात्रा का बारहवां पड़ाव वांण गांव है। लाटू देवता वांण गांव से हेमकुंड तक नंदा देवी का अभिनंदन करते हैं। हर साल नवरात्रि के दौरान, यहाँ बड़ा मेला आयोजित होता है। लाखों भक्त यहाँ आकर अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं और देवता की कृपा की कामना करते हैं।
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