Special story by – Anita Tiwari , Uttarakhand
Marriage Without Groom भारत में कदम कदम पर विचित्र कहानियां मिल जाती हैं। बोली भाषा , खानपान और रस्मों रिवाज़ भी इस देश को अनोखा बनाते हैं। इंसान की ज़िंदगी के सबसे हसीं दिन की बात करें तो वो है शादी की रात , बरात और धूम धड़ाका। फूलों से सजी घर की सारी दिवारें, हर कोने में सुनाई देती शहनाई की गूंज, महमानों से खचाखच भरा कमरें और मंडप की तैयारी में जुटे पंडित जी.. यही जश्न जोश होता है हमारे आपके शादियों वाले घर में और आज कल की अगर बात करें तो हर नौजवान अपनी शादी के सपने भी फ़िल्मी अंदाज़ में करने के देखते हैं।
Marriage Without Groom दो लड़कियां सात फेरे लेकर एक-दूसरे से शादी करती हैं

- Marriage Without Groom शादी से पहले फोन पर बातें, थोड़ी बहुत होने वाली मुलाकातें, प्री वेडिंग शूट और फिर शादी पर हाथों में हाथ लिए 7 जन्म साथ रहने के वचन.. लेकिन क्या हो अगर शादी तो हो लेकिन मंडप में लड़के की जगह बस लड़की हो। शादी की सारी ख्वाहिशें अधुरी रह जाएंगी जब आपको मालूम चलेगा कि, मंडप में लड़के की जगह लड़की ही है जिसके साथ आपको सात फेरों से लेकर शादी की हर एक रस्म अदा करनी है।

- Marriage Without Groom ये बात जरा हैरान करने वाली है लेकिन गुजरात के छोटा उदयपुर जिले के तीन गांवों में ये परंपरा पिछले करीब 300 सालों से चली आ रही है। हालांकि, जिले के बाकी सभी शहरों और गांवों में देश के बाकी हिस्सों की ही तरह सामान्य तरीकों से शादी की सारी रस्में निभाई जाती है लेकिन सुरखेड़ा, अंबाला और सनाड़ा गांवों में रहने वाले राठवा समाज की शादियों में दुल्हे की मौजूदगी अशुभ मानी जाती है। यहां लड़कों की शादी बिना उन्हें शामिल किए ही कर दी जाती है.

Marriage Without Groom दुल्हे के बिना शादी करने की पीछे ये है वजह-
- Marriage Without Groom दरअसल, बारात लेकर दुल्हन के घर घोड़ी पर दुल्हे की बहन बैठकर जाती है और शादी के दौरान लड़के साथ निभाई जाने वाली हर रस्म का हिस्सा दुल्हे की कुंवारी बहन बनती है। दुल्हन की तरह दुल्हे की बहन को भी शादी के दौरान सजाया जाता है। इसके बाद मंड़प पर दुल्हन के साथ फेरे लेकर वर माला की रस्म भी ननद भाभी एक दूसरे के साथ पूरी करते हैं। यानी कि कुल मिलाकर देखा जाए तो इस गांव में बहन अपने भाई के लिए शादी करके दुल्हन घर लाती है। है न हमारा भारत देश अनोखा अलबेला और दिलचस्प
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