Married Couple : पत्नी को ‘भूत या चुड़ैल’ कहना क्रूरता नहीं  –  HC

Married Couple  अक्सर हमारे भारतीय घरों में मियाँ बीवी के कहासुनी में कुछ ऐसी संवाद हो जाते हैं जिसपर नाराज़
होना और आपत्ति  जताना लाज़मी हो जाता है। गुस्से में पति अपनी पत्नी से  कुछ ऐसे अमर्यादित और अभद्र शब्दों में भी बात करते है जिसपर घरेलू कलह बड़ा हो जाता है ऐसे ही एक मामले में पटना हाईकोर्ट ने अभी हाल में ही एक निर्णय दिया है जिसमें स्पष्ट किया कि पति द्वारा पत्नी को भूत पिशाच कहना क्रूरता की श्रेणी में नहीं आता है।जस्टिस विवेक चौधरी ने पति पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों से जुड़े एक मामलें पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत द्वारा दोषी करार कर पति को दिये गये सजा को रद्द किया।

पार्टनर के बीच कठोर शब्दों का आदान-प्रदान आम बात Married Couple


बिहार के पटना हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है कि अपने जीवनसाथी को ‘भूत या चुड़ैल’ कहना क्रूरता नहीं है। पटना हाई कोर्ट ने निचली अदालत की ओर से एक पति को दोषी ठहराने के फैसले को पलट दिया। पटना हाई कोर्ट के फैसले से पति को काफी राहत मिली। मामला वैवाहिक कलह और दहेज उत्पीड़न से जुड़ा है। इसकी सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने जोर देकर कहा कि वैवाहिक संबंधों में, खासकर असफल वैवाहिक संबंधों में पार्टनर के बीच कठोर शब्दों का आदान-प्रदान होना आम बात है। इसलिए, ऐसे आरोप क्रूरता के दायरे में नहीं हैं।


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने पति पत्नी के बीच झगड़े व दहेज़ उत्पीड़न के से जुड़े मामलें पर सुनवाई करते हुए कहा कि वैवाहिक संबंधों, ख़ासकर असफल वैवाहिक संबंधों में ऐसी घटनाएँ होती है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे माहौल में  पति पत्नी आपस में गंदी भाषाओं का प्रयोग करते है,ऐसे आरोप को क्रूरता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। इस दौरान कोर्ट ने  498 ए और दहेज़ निषेध अधिनियम, 1961 के तहत एक पति को निचली अदालत द्वारा सुनाई गयी सजा को रद्द कर दिया।
हाईकोर्ट ने प्रतिवादी पत्नी के उन आरोपों को ख़ारिज कर दिया,जिसमें पत्नी ने अपने पिता को पत्र लिख कर अपने पति द्वारा दी जा रही यातनाओं के सम्बन्ध में  लिखा था। जब हाईकोर्ट  प्रतिवादी पत्नी से इस सम्बन्ध में सबूत मांगे,तो वह सबूत नही दे पायी।कोर्ट में  दहेज़ मांगने के मामलें में  कार  मांगने के सम्बन्ध में भी सबूत नही प्रस्तुत कर पायी।मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि मामला व्यक्तिगत विवादों और मतभेदों से उपजा है। 
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