masculinity test farmula मद्रास उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को किसी आरोपी की मर्दानगी की जांच के लिए रक्त के नमूने का उपयोग करने के बारे में एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि विज्ञान ने प्रगति की है और वीर्य का नमूना एकत्र करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा उसने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया कि ‘टू-फिंगर टेस्ट’ बंद कर दिया जाए।
masculinity test farmula नाबालिग लड़की और लड़के से जुड़ी याचिका का मामला

masculinity test farmula न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की खंडपीठ विशेष रूप से यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम और किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए गठित की गई थी। पीठ ने सात जुलाई को आदेश पारित किया। पीठ ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि टू-फिंगर टेस्ट और मर्दानगी जांच का पुराना तरीका बंद हो जाए।

masculinity test farmula पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया जाएगा कि वे विभिन्न क्षेत्रों के पुलिस महानिरीक्षकों को निर्देश दें कि वे 1 जनवरी, 2023 से यौन अपराध से जुड़े सभी मामलों में तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट को देखकर डेटा एकत्र करें और देखें कि क्या पेश की गई किसी रिपोर्ट में टू-फिंगर टेस्ट का संदर्भ है।” रिपोर्ट मिलने के बाद हम आदेश पारित करेंगे। इसी तरह, यौन अपराध से जुड़े मामलों में की जाने वाली मर्दानगी जांच में अपराधी का वीर्य एकत्र किया जाता है, जो पुरानी विधि है। विज्ञान ने प्रगति की है, लिहाजा केवल रक्त के नमूने एकत्र करके यह परीक्षण करना संभव है।”
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