MINOR GIRL GANGRAPE बीते कुछ दिनों से उत्तराखंड में नन्ही परी मामला सुर्ख़ियों में है। उसके गुनहगारों को सजा दिलाये जाने के लिए हंगामा बरपा है , पिथौरागढ़ की नन्ही परी केस को रीओपन कराए जाने की मांग को लेकर हल्द्वानी से देहरादून तक महिलाएं , बुजुर्ग, युवा, व्यापारी, कर्मचारी संगठन, पूर्व सैनिक, राजनीतिक संगठन, विभिन्न सामाजिक संगठन ने एकजुट होकर सड़कों पर उतर कर आक्रोश जताया है तो वहीँ उन्होंने कैंडल मार्च निकाले हुए विरोध जताया.लेकिन लम्बा अरसा गुज़र जाने के बाद अब आपके लिए ये जानना ज़रूरी है कि आखिर नन्ही परी कौन थी और उसके सम्मान के लिए लोग गुस्से में क्यों हैं ?
पहले जान लीजिये क्या था मामला? MINOR GIRL GANGRAPE
बता दें कि 20 नवंबर 2014 को कुमाऊं के प्रवेश द्वार काठगोदाम (हल्द्वानी) से पिथौरागढ़ की 6 साल की मासूम बच्ची अपने परिवार के साथ एक शादी समारोह में गई थी. जहां से वो अचानक लापता हो गई थी. काफी तलाश करने पर भी वो नहीं मिली. घटना के 6 दिन बाद बच्ची का शव गौला नदी से बरामद हुआ.
वहीं, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ दुष्कर्म (गैंगरेप) फिर हत्या की पुष्टि हुई. इस घटना के 8 दिन बाद पुलिस ने चंडीगढ़ से मुख्य आरोपी अख्तर अली को गिरफ्तार किया. उसके साथ ही दो अन्य आरोपी प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी गिरफ्तार किया गया. वहीं, मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने आरोपी अख्तर अली को गैंगरेप एवं हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई.20 नवंबर 2014 को पिथौरागढ़ की रहने वाली 7 साल की ‘नन्ही परी’ अपने परिवार के साथ हल्द्वानी के शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में एक शादी समारोह में आई थी. समारोह के दौरान वह अचानक लापता हो गई थी.
6 दिन बाद मिला था शव
बच्ची के लापता होने के छह दिन बाद उसका शव गौला नदी से मिला. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि बच्ची के साथ दुष्कर्म (गैंगरेप) किया गया था और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना से लोगों में भारी गुस्सा भड़क गया और उन्होंने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के काफिले पर भी गुस्साई भीड़ ने हमला कर दिया था. पूरे प्रदेश में इस घटना को लेकर उस दौरान बहुत बड़ा आन्दोलन हुआ था.
पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए कई राज्यों में तलाशी अभियान चलाया. घटना के आठ दिन बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर दो और आरोपियों प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी पकड़ा गया. मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को गैंगरेप और हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई. प्रेमपाल को पांच साल की सजा दी गई. वहीं तीसरे आरोपी को बरी कर दिया. अक्टूबर 2019 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट से मुख्य आरोपी बरी हो गया है.
मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में फिर मजबूत पैरवी के लिए दिए निर्देश
वर्ष 2014 में काठगोदाम में मूल रूप से पिथौरागढ़ निवासी सात वर्षीय बच्ची नन्ही परी के साथ हुई दरिंदगी के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में आरोपित को सुप्रीम कोर्ट से दोषमुक्त किए जाने का संज्ञान लेते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की बेटियों के साथ दरिंदगी करने वालों को सजा दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इस मामले में आरोपित को लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट से सजा हो चुकी थी, लेकिन अब किन्हीं कारण से सुप्रीम कोर्ट से आरोपित बरी हो चुका है।
इसलिए न्याय विभाग को इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका दाखिल करते हुए, मजबूत पैरवी के साथ सजा सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार इस केस को मजबूती से लड़ेगी, इसमें अच्छी से अच्छी लीगल टीम को लगाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि में इस तरह के कुकृत्य करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। न्याय की इस लड़ाई में सरकार पूरी तरह पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान के लिए सरकार लगातार प्रदेश में सत्यापन अभियान चला रही है। सरकार देवभूमि की अस्मिता पर कोई चोट नहीं पहुंचने देगी।