Nainital : अंग्रेजों ने धोखे से कब्जाया था नैनीताल !

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Nainital History वो ऐतिहासिक दिन था 18 नवंबर 1841 जब अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने नैनीताल को दुनिया से रूबरू कराया था। इससे पहले एक अंग्रेज अधिकारी ट्रेल साल 1823 में यहां आए थे, लेकिन उन्होंने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी थी। बताया जाता है कि जब पीटर बैरन यहां पहुंचे, तो नर सिंह थोकदार के पास नैनीताल का पूरा स्वामित्व था। अंग्रेज व्यापारी ने नर सिंह थोकदार को अपनी नौका से झील की सैर कराते हुए डरा धमका कर इस शहर को अपने नाम कर लिया था। साल 1842 से यहां आबादी के बसने के बाद अंग्रेजों ने नैनीताल को न सिर्फ अपनी गर्मियों की राजधानी बनाया बल्कि नैनीताल को छोटी विलायत का भी दर्जा दिया।
 

 किसने की थी नैनीताल की खोज ? पढ़िए Nainital History

नैनीताल का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है. कहा जाता है कि साल 1841 में पीटर बैरन ने नैनीताल को खोजा था. लेकिन इससे पहले साल 1823 में ट्रेल यहां आये थे. लेकिन ट्रेल ने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी, ताकि इसकी खूबसूरती को ग्रहण नहीं लगे. लेकिन बाद में 1841 में अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने इस खूबसूरत शहर को दुनिया के सामने रखा. तब से इस शहर की खोज का श्रेय पीटर बैरन को दिया जाता है. कहा जाता है कि जब पीटर बैरन यहां पहुंचे थे तो नर सिंह थोकदार के पास नैनीताल का पूरा स्वामित्व था. अंग्रेज व्यापारी पीटर बैरन ने नर सिंह थोकदार को झील के बीच ले जाकर उन्हें डराया और धमकाया, इसके बाद इस शहर को अपने नाम पर कर लिया. 1842 के बाद अंग्रेजों ने नैनीताल को न सिर्फ अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई, बल्कि इसको छोटी विलायत का  दर्जा भी दे दिया .


नैनीताल पहुंचने के बाद सैर सपाटे के लिये बहुत से स्थान हैं. माल रोड सैलानियों के घूमने के लिए अच्छी जगह है. वहीं, बैंड स्टैंड पर लोगों की आवाजाही काफी ज्यादा रहती है. इसके साथ ही नैनीताल का तिब्बती बाजार और बड़ा बाजार में भी पर्यटकों की बहुत आवाजाही रहती है. इसके साथ ही आप नैनीताल में हिमालय दर्शन करने के अलावा पंगूट, किलबरी, खुर्पाताल, सडियाताल झरना, स्नोव्यू और हनुमानगढ़ी में भी आसानी से घूम सकते हैं. नैनीताल से अगर बाहर जाना है तो श्यामखेत टी गार्डन, घोड़ाखाल गोल्ज्यू मंदिर, कैंची धाम मंदिर और काकड़ीघाट जैसे पर्यटन स्थल हैं.


पर्यटन नगरी नैनीताल प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द्र का भी संदेश देती है। नैनीताल के नैनी झील के उत्तरी किनारे पर 51 शक्तिपीठों में से एक मां नयना देवी मंदिर स्थित है। साथ ही यहाँ गुरुद्वारा, एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च और जामा मस्जिद भी स्थित है। कई दशकों का सफर तय करते हुए आज विकसित और नया नैनीताल हमारे सामने हैं , पर्यटकों से भरी सड़कें सैलानियों का शोर और झील में तैरते रोमांच के बीच राज्य सरकार की विकास योजनाओं ने आज नैनीताल को नयी पहचान दी है। यही वजह है कि यहाँ विकास योजनाओं का हाँथ पकडे हुए वादियों झीलों और तालों का ये शहर आज आपको नए रंग नए स्वरूप में नज़र आ रहा है..

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