देहरादून से अनीता तिवारी की स्पेशल रिपोर्ट –
Narasimha Temple Joshimath एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोशीमठ को बचाने में जुटे हैं तो दूसरी तरफ खतरे की दरार चौड़ी और लम्बी होती जा रही है। घर , दफ्तर के बाद अब खतरा पौराणिक मंदिर पर भी मंडरा रहा है। कुदरत का कहर अब नृसिंह मंदिर परिसर पर दस्तक देने लगा है। यहां आदिगुरू शंकराचार्य के गद्दीस्थल व मठ की दरारें बढ़ रही हैं। मंदिर परिसर का एक हिस्सा धंसता चला जा रहा है। शीतकाल में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर परिसर स्थित आदि गुरु शंकराचार्य गद्दीस्थल में रहती है। यहां गद्दीस्थल की बाहरी व अंदर की दीवारों पर दरारें पड़ रही हैं।
Narasimha Temple Joshimath खजाने का क्या होगा ?

Joshimath Sinking latest update मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मंदिर व अन्य परिसंपत्तियां अभी तक पूरी तरह से सुरक्षित है। दरारों से प्रभावित जोशीमठ में स्थिति काफी नाजुक है, लेकिन नृसिंह मंदिर सुरक्षित है। उन्होंने मंदिर में मौजूद भगवान बद्रीनाथ के खजाने की सुरक्षा को लेकर भी बात की। समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि फिलहाल बद्रीनाथ का खजाना अन्यत्र शिफ्ट करने की कोई योजना नहीं है। खजाने को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने को लेकर समिति को पांडुकेश्वर से भी प्रस्ताव मिला है। समिति पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है। अगर जोशीमठ की स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर हुई, तभी खजाने को अन्यत्र शिफ्ट किया जाएगा।

- Narasimha Temple Joshimath जोशीमठ में संकट गहराने पर इस खजाने को जोशीमठ से पीपलकोठी स्थित बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की धर्मशाला में रखा जाएगा. श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने अधिकारियों संग बैठक कर पीपलकोटी स्थित मंदिर समिति की धर्मशाला का सर्वे किया था. इसके बाद खजाने को पीपलकोठी में रखने का फैसला किया गया. जोशीमठ से पीपलकोठी की दूरी करीब 36 किलोमीटर है.

मुख्य मुकुट- इसको हैदराबाद में बनाया गया था. बदरी विशाल के मुकुट में बेशकीमती रत्न जड़े हैं. इतना ही नहीं इस मुकुट के केंद्र में एक बड़े आकार का हीरा भी जड़ा है. बदरी विशाल साल 1962 इस मुकुट को धारण कर रहे हैं.
सोने के पुराने मुकुट- बद्रीनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष भुवन चंद उनियाल ने बताया है कि मुख्य मुकुट के अलावा खजाने में पुराने सोने के मुकुट भी हैं, जो एक सदी से ज्यादा पुराने हैं.
सोने का सिंहासन- इसका वजन 51 किलो है, जिसे महाराष्ट्र के एक परिवार ने दान किया था.
सोने-चांदी का प्रसाद- श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के मंदिर में सोने-चांदी के सिक्के और गिन्नी चढ़ाते हैं. इसे प्रसाद के समान ही माना जाता है.

श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि, “वर्तमान में नरसिंह मंदिर क्षेत्र में संरक्षित प्रसाद में 35-40 किलो सोना, 45 क्विंटल चांदी और कई कीमती रत्न हैं.” नृसिंह मंदिर की समिति से जुड़े लोगों ने बताया है कि सोने का सिंहासन हमेशा बद्रीनाथ मंदिर के अंदर रहता है. इसके अलावा पूरे खजाने को लगभग 45 किलोमीटर दूर जोशीमठ लाया जाता है.must read tis story – https://shininguttarakhandnews.com/uttarakhand-sexual-assault-dhanai/
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