Special Report By : Anita Tiwari , Dehradun
Pitru Paksha Crow Importance उत्तराखंड के हरिद्वार में श्राद्ध पक्ष के दौरान देश भर से परिजन अपने पितरों की आत्मा की तृप्ति और शांति के लिए पहुंचते हैं। गंगा घाटों और मंदिरों में पिंडदान श्राद्ध और केश तर्पण का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल पितृपक्ष की शुरुआत 10 सितंबर से होगी। पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों को याद करके उनकी मृत्यु की तिथि पर उनको याद करते हैं। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार पितृपक्ष में लोग अपने पितरों को पिंड दान करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण भोज कराते हैं। पितृ पक्ष में कौए की अहमियत काफी बढ़ जाती है।
Pitru Paksha Crow Importance यमराज का प्रतीक है कौआ

- Pitru Paksha Crow Importance ऐसी मान्यता है कि कौआ यम का प्रतीक होता है। पितृ पक्ष में कौए को खाना खिला कर पितरों को तृप्त किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि अगर पितृपक्ष में घर के आंगन में कौआ आकर बैठ जाए तो यह अत्यंत शुभ संकेत होता है और अगर कौआ आपका दिया हुआ भोजन खा लें तो यह अत्यंत शुभ होता है। इसका अर्थ है कि पितृ आपसे बेहद प्रसन्न हैं और आपको ढेर सारा आशीर्वाद देकर गए हैं। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में कौए का क्या महत्व है।

- Pitru Paksha Crow Importance हिंदू शास्त्रों के मुताबिक कौए को यमराज का संदेश वाहक माना गया है। कौए के माध्यम से ही पितृ आपके पास आते हैं। भोजन करते हैं और आशीर्वाद देते हैं। कौआ यमराज का प्रतीक होता है। पितृपक्ष के दौरान कौए को भोजन खिलाना यानी अपने पितरों को भोजन खिलाने के बराबर होता है।

- Pitru Paksha Crow Importance पितृ पक्ष में कौए को रोजाना भोजन कराना चाहिए। इससे आपके हर बिगड़े काम बनने लगेंगे। पितृ पक्ष के समय यदि कौआ नहीं मिलता है तो आप कुत्ते या गाय को भी भोजन खिला सकती हैं। इसके अलावा पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। पीपल को भी पितृ का प्रतीक माना गया है। ऐसे में पीपल को जल अर्पित करके पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
सेक्सी हसीनाओं का हनी ट्रेप तैयार https://shininguttarakhandnews.com/honey-trap-attack-isi-news/