देहरादून से आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
PM Modi प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को देवभूमि उत्तराखंड में पहुंचे। यहां उन्होंने सबसे पहले राज्य के मुखवा देवी मंदिर गए, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ गंगा आरती की। इस दौरान पीएम मोदी ने मुखवा देवी के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। इसके बाद वह मंदिर के बाहर स्थानीय नृत्य कलाकारों के साथ लोकनृत्य में हिस्सा लिया। इसी बीच पीएम ने किस मुद्दे पर मुस्कुराते हुए सीएम धामी को शाबाशी दी इस पर कई तरह की बात हो रही है। कुछ लोग बीते दिन हुए माणा रेस्क्यू में ज्यादा से ज्यादा मज़दूरों की जान बचाने के मिशन को बता रहे हैं तो कुछ लोग मौजूदा सरकार के कामकाज के रिपोर्ट कार्ड पर सरकार को पीएम की शाबाशी से जोड़ रहे हैं। हांलाकि ये चंद सेकेंड का ही वीडियो है लेकिन इसकी कहानी आने वाले समय में सीएम धामी को लम्बी पारी के लिए हौसला ज़रूर देती रहेगी
उत्तराखंड के मुखवा मंदिर का धार्मिक महत्व क्या है ? PM Modi
बता दें कि उत्तराखंड के मुखवा का चामधाम में बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। मुखवा देवी गंगा को समर्पित गंगोत्री मंदिर के रास्ते में स्थित है। हर साल सर्दियों के लिए कपाट बंद होने के बाद उनकी मूर्ति को गंगोत्री धाम से मुखवा मंदिर में ले जाया जाता है। अपने एक दिवसीय दौरे पर उत्तरकाशी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले मुखवा गांव में मां गंगा के शीतकालीन गद़्दी स्थल पर पूजा – अर्चना कर देशवासियों के लिए सुख – समृद्धि की कामना की। प्रधानमंत्री ने विधि – विधान से मां गंगा की पूजा कर भोग भी चढ़ाया। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने रांसों नृत्य से प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
पीएम ने थपथपाई सीएम धामी की पीठ – देखिये वीडियो
इस बीच एक ऐसा वीडियो भी मुखबा हरसिल से रिकॉर्ड होकर जनता के बीच आया है जो उत्तराखंड की सियासत में सीएम धामी की जड़ों को और भी मजबूत करने वाला बन गया है। भरे मंच पर पीएम मोदी ने सीएम धामी की मुस्कुराते हुए जब पीठ थपथपाई तो सबकी नज़र उनपर ही टिक गयी। इसके बाद उन्होंने मुखवा गांव से ही भव्य हिमालय के दर्शन किए।
सर्दियों के मौसम में दिवाली के दिन प्रसिद्ध गंगोत्री मंदिर में स्थित देवी गंगा की मूर्ति को मुखबा के मुखीमठ मंदिर में ले जाया जाता है. यह स्थानांतरण इसलिए होता है क्योंकि भारी बर्फबारी और कम तापमान के कारण गंगोत्री मंदिर बंद हो जाता है. छह महीने तक गंगा की मूर्ति की पूजा मुखीमठ मंदिर में की जाती है, जब तक कि गर्मियों में गंगोत्री मंदिर फिर से नहीं खुल जाता. मंदिर के फिर से खुलने पर, मूर्ति को उत्सव से भरे एक भव्य जुलूस के साथ गंगोत्री मंदिर में वापस लाया जाता है.
प्रधानमंत्री काफी देर तक व्यू प्वाइंट से बर्फ से लकदक चोटियों के साथ ही हर्षिल घाटी से बहती भागीरथी नदी की सुंदरता को निहारते रहे। इसके बाद वो सड़क मार्ग से हर्षिल कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। जहां उन्होंने सबसे पहले उत्तराखंड में शीतकालीन यात्रा पर आधारित एक्जीबिशन का अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में उत्तराखंड के प्रमुख शीतकालीन पयर्टन स्थलों को दर्शाया गया था। इसके बाद उन्होंने ट्रैकिंग एवं बाइक रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। मुखीमठ (मुखवा) को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने और प्रदेश की सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत को सशक्त बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री जी की यह यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण है।