Pressure Politics देहरादून के गांधी पार्क में रिटायर्ड सैन्य अधिकारी आपस में बात करते हुए कहते हैं कि उत्तराखंड में कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके खनन के पट्टे ना हो, रिश्तेदारों के नाम ठेकेदारी ना हो, पहाड़ पर पीडब्ल्यूडी का ठेका और शराब का ठेका ना हो । पार्टी कोई भी हो, नेता कोई भी हो , सबके अपने स्वार्थ है और सबकी अपनी अपनी सेटिंग गेटिंग है। लिहाजा एक बार फिर भर्ती प्रकरण जितनी जोर से उठा है उतनी ही जोर से बैठ जाएगा। सरकार कार्यवाही के लाख दावे करे लेकिन आखिर में जब फंदा उसके अपने ही लोगों पर पड़ता दिखेगा तो फाइलें भी बंद हो जाएंगी और जनता को तो वैसे भी इस ड्रामे की आदत भी पड़ चुकी है ।
Pressure Politics अपने ही बना रहे इस्तीफे का माहौल

- Pressure Politics कुछ ऐसा ही सीन राजपुर रोड पर मॉर्निंग मॉर्निंग वॉक करते हुए कुछ लोग आपस में बतिया रहे हैं। अखबार में मंत्रियों के इस्तीफे की उल्टी-सीधी अफवाह लोगों के बीच चर्चा का विषय है। कब देगा इस्तीफा ? कौन देगा इस्तीफा ? कौन लेगा इस्तीफा ? और इस्तीफे से क्या होगा ? यही हाल पूरे प्रदेश का है सुबह से शाम तक यूके एसएससी भर्ती घोटाले और विधानसभा सहित तमाम विभागों में सामने आ रहे फर्जीवाड़े का जिस तरह से धामी सरकार मुकाबला कर रही है और विपक्ष के निशाने पर कुछ मंत्री हैं ऐसे में जनता भी काफी हैरानी के साथ अपने ही प्रदेश में हो रहे इस बंदरबांट को देखकर गुस्से में है

- Pressure Politics कहां तो उम्मीद थी कि पहाड़ का वजूद जब 25 साल में प्रवेश करेगा तो विकास की एक नई इबारत लिखी होगी। लेकिन जिस तरह से अब बीते 20 सालों के घोटाले और अलग-अलग सरकारों में युवाओं के अधिकार पर डाके की परतें खुल रही हैं उससे लोग तो कम से कम निराश की है। वह कहते हैं कि इस्तीफे से क्या होगा एक गया तो दूसरा आ जाएगा । क्योंकि सभी एक जैसे हैं , लेकिन मीडिया में एक धड़ा ऐसा भी है जो हर दौर में सरकार के विरोध में सक्रिय रहने वाले अनसीन गैंग के दिए गए स्वरचित इनपुट्स पर खूब मसालेदार खबरें दिन भर चला रहा है। कयासों के आधार पर तरह-तरह की भड़ास निकाली जा रही है और इन सब के बीच हर कैबिनेट मंत्री सहमा हुआ है। और वह नहीं समझ पा रहा है कि आखिर जनता के बीच जिस रफ्तार से विकास योजनाओं का कामकाज शुरू हुआ था अचानक उस पर इस तरह के सवालिया निशान क्यों खड़े हो गए ?

- Pressure Politics ये तो जगजाहिर है कि प्रधानमंत्री मोदी की उत्तराखंड पर खास नजर है। ऐसे में यहां परफॉर्मेंस सबसे बड़ी चुनौती है। लेकिन अगर इसी परफॉर्मेंस पर छोटी सी कैबिनेट के ढेर सारे मंत्रियों पर सवाल खड़े होंगे तो सवाल पार्टी पर भी उठेंगे और वोट तो जनता को ही देना है। तो क्या यह माना जाए कि उत्तराखंड में परंपरा बन चुकी सत्ताधारी पार्टी की भितरघात और असंतुष्ट खेमे की षड्यंत्रकारी कूटनीति एक बार फिर सर उठाने लगी है। क्योंकि सीएम धामी के सामने जहां मिशन 2024 और 2027 तक सरकार की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचना है वहीं पार्टी के अंदर ही एक गुट ऐसा है जो मानकर चल रहा है कि यही वह मौका मौका है जब हल्की सी सुराख को बड़ी खाई बनाई जा सकती है।

- Pressure Politics इस्तीफा इस्तीफा और इस्तीफा बस यही शोर है । दो मंत्रियों पर कार्यवाही की बात उड़ रही है। चलिए मान भी लेते हैं कार्यवाही हो गई तो उससे क्या होगा ? कुर्सी तो खाली नहीं रहेगी कोई और आ जाएगा …. लेकिन असल समस्या तो सिस्टम में है, मठाधीश अधिकारियों की सोच में है और भ्रष्टाचार की बरगद में बैठे क्षेत्रीय नेताओं के दबाव की है। जो पार्टी का झंडा झंडा उठाकर बड़े-बड़े ठेके , सेटिंग , ट्रांसफर पोस्टिंग के भ्रष्टाचार के मामलों में लिप्त हैं । ऐसे में क्या 1 या 2 मंत्रियों की बलि लेकर उस पूरे सिस्टम को सुधारा जा सकता है ? यह भागीरथ प्रयास है और लगभग मुश्किल से भी मुश्किल कोशिश होगी ।

- Pressure Politics लिहाजा अगर एक या दो मंत्रियों का इस्तीफा अगले कुछ घंटों में हो जाता है तो धामी सरकार के ऊपर दोहरी चुनौती होगी कि वह कैसे आगे अपने कैबिनेट और विधायकों के साथ पार्टी के नेताओं की छवि को सुधारते हुए आगे बढ़ते हैं। क्योंकि विपक्ष के साथ-साथ अपने ही खेमे के एक दर्जन से ज्यादा बड़े नेताओं की टेढ़ी नजर से उन्हें बचना होगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि अफवाहों का बाजार जल्द ही खत्म होगा और विकास की दौड़ रही गाड़ी एक बार फिर पहाड़ चढ़ेगी।
खबर में पढ़ें – महारानी का निधन – https://shininguttarakhandnews.com/britain-queen-elizabeth-latest-news/
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