Prostitution Village  Natpurva : जिस्मफरोशी के गाँव नटपुरवा को कब मिलेगी आज़ादी ?

Prostitution Village  Natpurva   मैं नटपुरवा गाँव हूँ …उत्तर प्रदेश में अवध के करीब बसा एक ऐसा गाँव जहाँ जाना तो छोड़िये  जिसका ज़िक्र करना तक लोग पसंद नहीं करते हैं … बीते कई सौ साल से मुझे जिस बदनामी और ज़िल्लत में  दिन गुज़ारने पड़े हैं उसका दर्द यहाँ बयां करना भी मुश्किल है … आज भी मुझे याद है वो मनहूस दिन और उस दिन की घटना जब करीब साढ़े 3 सौ साल पहले 7 बेटियों के पिता  जब्बर बाबा  घर चलाने की मज़बूरी में लाचार  हो गये और पास के मंडोली गांव के जमीनदार के खेतों में बेटियों से मजदूरी करवानी शुरू करवा दी ….इस फैसले ने तो जैसे इनकी तक़दीर और कहानी ही बदल दी …जमींदार की नीयत बदली और बच्चियों को अचानक अनाज ज्यादा मिलने लगा …..  ये वो समय था जब बेबस बाप जब्बर की गृहस्थी के चूल्हे तो खूब भड़कने लगे लेकिन उसी रफ़्तार में उसकी सातों लड़कियों की  ज़िंदगी और जवानी  भी जमींदार की हवस में स्वाहा हो रही थी


 योगी सरकार कब करेगी इसका इलाज़
Prostitution Village  Natpurva

Prostitution Village  Natpurva

समय आगे बढ़ा और आगे बढ़ने लगी ये सुविधा जो धीरे धीरे परम्परा बनने लगी …  और नट, बंजारा जैसी कुशल जातियों की लडकियां अपने  जिस्म की कमाई से उत्तर प्रदेश के अवध की दहलीज़ पर बसे  नटपुरवा गाँव को सींचने लगीं साल बीते दशक गुज़रे और बीत गए एक दो नहीं तीन सौ साल से ज्यादा लेकिन वाह रे परंपरा … नहीं बदली तो इस गाँव  की  लड़कियों और औरतों की मज़बूरी और बेबसी ….   आज करीब आठ हजार की आबादी वाले इस गाँव की लडकियों या तो मुम्बई में अपनी पुरानी शर्मनाक परम्परा निभा रही हैं या तो दुबई में कमा रही हैं….. तो वही ज्यादातर गाँव में ही रहती है ..  हालांकि गाँव की ही पुरानी महिलाओं ने बदलाव लाना भी शुरू कर दिया है आज कई लड़कियां ऐसी हैं जो अपनी पहचान बदलना चाहती है तो वहीँ ऐसी भी लड़कियां हैं  जो गांव की दहलीज से निकल कर कमाई के लिए बाहर गई, आज तक लौट कर ही नहीं आ सकी


चाँद पर भारत लेकिन शर्मनाक है आज भी लखनऊ की एक फूहड़ रवायत … आज हम आपको योगी राज में हरदोई के नटपुरवा गांव की शर्मनाक सच्चाई बता रहे हैं जो परम्परा , पारिवारिक व्यवसाय या मज़बूरी कहें लेकिन but  इसकी आड़ में जो होता है वो कहीं से भी जायज़ नहीं मान सकते हैं। क्योंकि because यहाँ होता है चमड़ी से दमड़ी कमाने का गन्दा धंधा खुल्लमखुल्ला —-


इस टोले की एक ख़ास परंपरा है। घर की बेटियों को ही धंधे में उतारा जाता है। ब्याह कर लाई गई पत्नी या बहुओं को जिस्मफरोशी की इजाज़त नहीं। वे केवल अपने पतियों के साथ ही रहती हैं। वहीं, घर के पुरुषों का एक काम है कि वे अपनी बेटियों या बहनों के लिए ग्राहक तलाश कर लाएं। सिकरौरा गांव के चारों तरफ दूर कुछ लोग खड़े मिल जाएंगे। ये झुंड में नहीं होते, लेकिन but अपनी पैनी नज़र से ताड़ लेते हैं कि सामने वाला व्यक्ति आसपास के इलाक़े का तो नहीं। आसपास के इलाके़ वाले तो ख़ुद अपनी मर्जी से आते-जाते रहते हैं, लेकिन बाहर वालों पर इनकी पूरी नज़र होती है।


जैसे ही इन्हें अंदाज़ा हो जाता है कि ये अपने घर के लिए ग्राहक के तौर पर उस व्यक्ति को ले जा सकते हैं, तो वे करीब आकर धीरे से कहते हैं, ‘सब इंतज़ाम है, चलेंगे क्या?’ धंधा करने वाली लड़की की उम्र बताकर ये ग्राहकों को रिझाते हैं। कई बार जब बात नहीं बनती, तो जबरन ले जाने पर भी आमादा हो जाते हैं। कई बार तो गांव के पास से गुजरती गाड़ियों का पीछा तक करने लगते हैं। इससे राहगीरों की स्थिति काफी ख़राब हो जाती है।


इस टोले में जिस्मफरोशी अब भी जारी है, तो वजह है इसे मिला संरक्षण। लोग तो दबी जुबां कहते हैं कि पुलिस-प्रशासन और राजनीतिक संरक्षण हासिल है इन लोगों को। एक समय पुलिस इनका मुखबिर के तौर पर भी इस्तेमाल करती थी। इसकी वजह से मनबढ़ई शुरू हुई, जो बाद में गुंडई में बदल गई। कई तो यहां हिस्ट्रीशीटर हैं। कुछ उम्रकैद की सजा काटकर आए लोग भी हैं।

वैसे कुछ बदलाव भी ज़रूर महसूस किया जा रहा है

बीते बरसों में गांव के कुछ लड़कों ने बाहर जाकर पढ़ाई-लिखाई की। सरकारी नौकरी कर रहे हैं। हालांकि although उन्हें अपनी पहचान छुपानी पड़ती है। सिकरौरी गांव के लोग भी अपने गांव का नाम बताने से झिझकते हैं, क्योंकि because उन्हें नटपुरवा से जोड़ दिया जाता है। गांव का एक बड़ा वर्ग इस मजरे की पहचान से अलग होना चाहता है, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं। लेकिन but अब ज़रूरी है कि समय के साथ इस कलंक जैसी परम्परा को तोड़ा जाय और समाज में एक नयी पहचान देकर मुख्य धारा से इन्हे भी  जोड़ा जाये। 

है भगवान ! आइंस्टीन का “दिमाग” बेच रहा चीन , कौड़ियों में कीमत https://shininguttarakhandnews.com/einstein-brain-sale/

ShiningUttarakhandNews

We are in the field of Electronic Media from more than 20 years. In this long journey we worked for some news papers , News Channels , Film and Tv Commercial as a contant writer , Field Reporter and Editorial Section.Now it's our New venture of News and Informative Reporting with positive aproch specially dedicated to Devbhumi Uttarakhand and it's glorious Culture , Traditions and unseen pictures of Valley..So plz support us and give ur valuable suggestions and information for impressive stories here.