Public Library Dehradun उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में उत्तराखंड की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी लाइब्रेरी स्थित है। इसका नाम खुशीराम पब्लिक लाइब्रेरी (Mahatma Khushi Ram Public Library Dehradun) है। यह 102 वर्ष पुरानी है और आज भी यूं ही चल रही है। इसकी स्थापना 1921 में महात्मा खुशीराम ने की थी, ताकि लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़े। वर्तमान में यहां करीब 48,000 किताबें हैं। यहां प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान भी लोग ले सकते हैं। यहां 80 रुपये और 100 रुपये के मासिक शुल्क में लोग किताबें पढ़ सकते हैं।
कैसे पहुंचे महात्मा खुशीराम लाइब्रेरी ? Public Library Dehradun
बातचीत में लाइब्रेरी के ट्रस्टी जगदीश बावला कहते हैं कि इसकी स्थापना 4 अक्टूबर 1921 को महात्मा खुशीराम ने की थी। वह पोस्ट मास्टर थे और रिटायरमेंट के बाद समाज सेवा के काम में जुट गए। उस समय देहरादून में कोई लाइब्रेरी नहीं थी लेकिन यह क्षेत्र शिक्षा के लिए जाना जाता था, इसलिए महात्मा खुशीराम को लगा कि क्यों न देहरादून में एक लाइब्रेरी की स्थापना की जाए। तब इसके लिए भूमि तत्कालीन पालिकाध्यक्ष लाला उग्रसेन ने दी थी। तभी से यह लाइब्रेरी देहरादून में शिक्षा के प्रचार-प्रसार का काम कर रही है।
लाइब्रेरी की सदस्यता लेना अनिवार्य
उन्होंने बोला कि महात्मा खुशीराम लाइब्रेरी में स्टूडेंट केवल 80 रुपये और 100 रुपये के मासिक शुल्क में पढ़ाई कर सकते हैं। इसके लिए पहले लाइब्रेरी की सदस्यता लेनी होगी, जिसको एक फार्म भरने की फॉर्मेलिटी के बाद सरलता से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने बोला कि 102 वर्ष पुरानी इस लाइब्रेरी में करीब 48,000 किताबें रखी हैं, जिनमें हिंदी-उर्दू साहित्य के अतिरिक्त मनोविज्ञान, इतिहास, नाटक, उपन्यास, संस्कृति, कहानी के संग्रह शामिल हैं। वहीं चारों वेद ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अर्थवेद, कुरान शरीफ, श्री गुरु ग्रंथ साहिब, बाइबल जैसी धार्मिक किताबें भी हैं। यहां 1914 में प्रकाशित मीडिया ‘सरस्वती’ की प्रतियां भी सुरक्षित रखी हैं।
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