Special Story By – Abhilash Khanduri , Dehradun
Pushkar Singh Dhami सत्ता में रहते हुए चुनाव हारने वाले उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री हो गए हैं। इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था और वह चुनाव हार गए थे। वहीं 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बीसी खंडूरी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था, इस दौरान खंडूरी चुनाव हार गए थे।
Pushkar Singh Dhami चुनाव हारने वाले उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री बने धामी

Pushkar Singh Dhami सत्ता में रहते हुए चुनाव हारने वाले उत्तराखंड के तीसरे मुख्यमंत्री हो गए हैं। इससे पहले 2017 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था और वह चुनाव हार गए थे। वहीं 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बीसी खंडूरी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था, इस दौरान खंडूरी चुनाव हार गए थे।

उत्तराखंड विधानसभा नतीजों ने न सिर्फ पहाड़ को बल्कि देश को चौंका दिया है। कई बड़े उलटफेर के साथ ऐसे नतीजे पहाड़ की जनता ने ईवीएम के जरिए लोकतंत्र को दिए है। जिसका अब अर्थ लगाया जाए तो यह है कि धनबल और दलबदल को जनता पूरी तरह से नकार रही है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी कई दल बदलू नेताओं को जनता ने घर बिठा दिया तो वही उत्तराखंड में भी यही हाल देखने को मिल रहा है। हालाकी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे हरीश रावत को लाल कुआं की जनता ने नकार दिया तो वही मौजूदा मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami को भी खटीमा की जनता ने कुर्सी से उतार दिया। चौंकाने वाले ये नतीजे न सिर्फ पहाड़ और देव भूमि की लाखों जनता के लिए आने वाले कल के राजनीतिक भविष्य का संकेत है बल्कि बताता है जोड़-तोड़ धनबल दल बदल से कहीं ऊपर है जनता का मत

यानी लोकतंत्र में अगर आप नतीजा नहीं देंगे तो जनता आप को वोट और सपोर्ट भी नहीं देगी। खटीमा से विधायक रहे सीएम पुष्कर सिंह धामी भले ही अब मुख्यमंत्री के दावेदार आसानी से न बन सके , लेकिन छोटी सी इस पारी में उन्होंने अपने बेहतरीन नेतृत्व का मुज़ाहिरा भी जरूर किया। Pushkar Singh Dhami को भाजपा ने उस वक्त प्रदेश की कमान सौंपी जब प्रदेश में भाजपा के अंदर ही दो-दो मुख्यमंत्री बदलने के बाद अजीबोगरीब हालात पैदा हो गए थे…

केंद्र और प्रदेश में तमाम पार्टी नेताओं का सपोर्ट धामी को मिला और वह बचे हुए समय में न सिर्फ एक अच्छा कार्यकाल चला सके बल्कि Pushkar Singh Dhami पहाड़ में 2022 का चुनाव भी बेहतरीन ढंग से लड़ा जिसका नतीजा आज पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है।
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