
क्या है सालम का गौरवशाली इतिहास ? Salam Kranti Syllabus

भारत छोड़ो आंदोलन में कुमाऊं के जनपद अल्मोड़ा में स्थित सालम पट्टी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अल्मोड़ा जनपद के पूर्वी छोर पर बसे सालम क्षेत्र को पनार नदी दो हिस्सों में बांटती है। क्योंकि because यहां की 25 अगस्त 1942 की अविस्मरणीय घटना इतिहास के पन्नों में ‘सालम की जनक्रांति’ के नाम से जानी जाती है। ‘भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो‘ का प्रस्ताव पास होने के बाद नौ अगस्त की सुबह ही महात्मा गांधी व गोविंद बल्लभ पंत की गिरफ्तारी का असर कुमाऊं में भी पड़ा। सालम में भी 11 अगस्त को पटवारी दल सांगण गांव में रामसिंह आजाद के घर पंहुचा, जहां बड़ी संख्या में कौमी दल के स्वयंसेवक मौजूद थे। but रामसिंह आजाद शौच के बहाने से फरार हो गए।
19 अगस्त को स्वयंसेवकों के सचल दल की जब नौगांव में आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तय की जा रही थी तो पुलिस बल ने गांव को चारों तरफ से घेरे दिया और बैठक में शामिल 14 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। 25 अगस्त 1942 के दिन आसपास के कई गांवों के लोग, तिरंगे, ढोल नगाड़ों के साथ धामदेव पर एकत्र होने लगे। थोड़ी देर बाद खबर मिली कि ब्रिटिश फ़ौज पूरे दल बल के साथ आ रही है। हजारों की संख्या में लोग पूरे जोश से जुटने लगे।
ब्रिटिश फ़ौज ने जनता को डराने के लिए हवाई फायर की। इससे जनता भड़क गई और ब्रिटिश सेना पर पत्थरों की बौछार शुरू कर दी। धामदेव का मैदान पूरा युद्ध का मैदान बन गया।although एक तरफ दलबल के साथ ब्रिटिश सेना, दूसरी ओर कुमाऊं के निहत्थे स्वतंत्रता सेनानी। एक गोली चैकुना गांव के नर सिंह धानक के पेट में लगी और वो बलिदान हो गए। उसके बाद एक गोली टीका सिंह कन्याल को लगी। वो भी गंभीर रूप से घायल हो गए जो बाद में बलिदान हो गए। but शाम होते-होते यह संघर्ष खत्म हो गया। इसमें जो कौमी दल के सदस्य पकड़े गए, उन पर जुल्म करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
पॉटी , सुसु ,गेंद, चिमटा , भाला चाँद पर कचरों का ढेरhttps://shininguttarakhandnews.com/vikram-lander-image/