Sushila Karki भारत के पड़ोसी मुल्क नेपाल में शुक्रवार को एक इतिहास रचा गया, जब सुशीला कार्की ने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व मुख्य न्यायाधीश कार्की को जेन जेड प्रदर्शनकारियों ने डिस्कॉर्ड प्लेटफॉर्म पर जनमत संग्रह के जरिए चुना, जो हाल ही में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंकने में सफल रहे. यह कदम नेपाल की राजनीति में एक दुर्लभ सहमति और युवा शक्ति का प्रतीक है. कार्की, जो जुलाई 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनी थीं, भ्रष्टाचार विरोधी छवि और न्यायिक स्वतंत्रता के लिए जानी जाती हैं.सुशीला कार्की को राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शुक्रवार रात राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में शपथ दिलाई. राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि अगले छह महीनों के भीतर संसद का नया चुनाव कराया जाएगा.
जेन जेड का प्रभावशाली निर्णय Sushila Karki
जेन जेड नेताओं ने कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चुना, जो देश में स्थिरता और विश्वसनीयता लाने के लिए एक लोकप्रिय और स्वीकार्य चेहरा माना जाता है. द काठमांडू पोस्ट के अनुसार, कार्की का चयन युवाओं के साथ-साथ पारंपरिक राजनीतिक बलों द्वारा भी समर्थित है. उनका लक्ष्य देश में व्यवस्था बहाल करना, चुनाव कराना और विकास को गति देना है. बीबीसी की 11 सितंबर 2025 की रिपोर्ट में उल्लेख है कि नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और जन आंदोलन ने भारत जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी चिंता बढ़ा दी है, जहां ओली के इस्तीफे के बाद क्षेत्रीय संतुलन को लेकर चर्चा है.
सुशीला कार्की को राष्ट्रपति ने अंतरिम सरकार की प्रमुख के रूप में शपथ दिला दी है.
1952 में जन्मी सुशीला, BHU से पढ़ीं
1952 में जन्मी सुशीला कार्की ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और त्रिभुवन विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की. 1979 में वकालत शुरू करने के बाद, उन्होंने कोशी जोनल बार एसोसिएशन और बिराटनगर अपीलेट बार की अध्यक्षता की. 2009 में सुप्रीम कोर्ट की जज बनने के बाद, उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए. हालांकि, 2017 में राजनीतिक दबाव में उनका कार्यकाल विवादास्पद रूप से समाप्त हुआ. नेपाल में उनके सादा जीवन और अखंडता की प्रशंसा की गई है, जो उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाती है.