देहरादून से अनीता आशीष तिवारी की विशेष रिपोर्ट –
tradition jaunsar bawar हमारे रंगीले देश में परम्पराएं भी बड़ी रोचक और अनोखी हैं। कहीं अजीबोगरीब संस्कार तो दिलचस्प रस्में लेकिन but इसमें सबसे दिलचस्प है भारत में शादियां .. आपने अजीबोगरीब शादियों के बारे में सुना होगा although लिहाज़ा शाइनिंग उत्तराखंड में आज जानकारी एक ऎसी शादी की परंपरा के बारे में दे रहे हैं जो अनोखी है। ये शादी पूरी दुनिया को बताती है कि आखिर विवाह होने कैसे चाहिए। इस शादी में दुल्हा नहीं दुल्हन बारात लेकर आती है।
बात करते हैं अलबेले जौनसार बावर की परंपरा की tradition jaunsar bawar

उत्तराखंड की अस्थाई राजधानी देहरादून से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर बसा है रहस्यों , परम्पराओंम की मजबूत विरासत समेटे जौनसार बावर जो सिर्फ अपनी संस्कृति के लिए नहीं, बल्कि अपनी अलग परंपराओं के लिए भी दुनियाभर में पहचान रखता है । जाजड़ परंपरा इन्हीं परंपराओं में से एक है। जहां आम शादियों में दुल्हा बारात लेकर दुल्हन के घर जाता है। वहीं, सिरमौर और जौनसार में दुल्हन बारात लेकर आती है। जी हां. दुल्हन। सिर्फ यही नहीं, कबायली संस्कृति की इन शादियों में महिलाओं की काफी ज्यादा अहमियत होती है। यही वजह है कि यहां पूरे गांव की महिलाओं को अलग से भोज करवाया जाता है। इस परंपरा को रहिंन जिमाना कहा जाता है।
दिखावा किया तो होगा विरोध
दुल्हन जब दूल्हे के घर बारात लेकर आती है तो बारात मेहमानों को लेकर दूसरे दिन लौट जाती है। लेकिन but दुल्हन दूल्हे के घऱ पर 5 दिन तक रहती है। आजकल जहां लोग शादियों पर करोड़ों रुपये खर्च करते हैं, वहीं जौनसार बावर में शादी में दिखावा करना काफी ज्यादा खराब माना जाता है। शादी परंपराओं के हिसाब से करना बेहद जरूरी है। अगर if किसी ने शादी में अमीरी दिखाने की कोशिश की और बेजा खर्च किया तो पूरा गांव उसका विरोध करता है। सदियों से चली आ रही ये परंपरा आज भी यहां कायम है।
क्या इतना दहेज लेंगे आप ?
अब बात करते हैं दहेज की। जहां पढे़–लिखे लोग लाखों का दहेज और घोड़ा–गाड़ी लड़कियों से लेते हैं। वहीं, जौनसार और सिरमौर में बिलकुल उल्टा है। यहां कई इलाकों में दूल्हे की तरफ से दुल्हन के परिवार को दहेज देने की प्रथा है। हालांकि although ये दहेज पैसों और घोड़ा–गाड़ी का नहीं होता, बल्कि ये कोई सामान्य चीज जैसे बर्तन और कपड़े हो सकते हैं। और ये दहेज देने का मतलब ये है कि दूल्हे के मां–बाप दुल्हन के मां–बाप का शुक्रिया अदा करते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी का हाथ उनके लड़के के लिए दिया। कुछ शादियों में दुल्हन दहेज देती है, लेकिन but ये सिर्फ 5-7 बर्तन ही होते हैं।
अनोखी विदाई, सिर्फ दुल्हन की नहीं, पूरी बारात की
हर शादी की तरह जौनसार की शादियों में भी नाच–गाना होता है। लेकिन but इन शादियों में परंपरागत नृत्यों को तवज्जो दी जाती है। हारुल, तांदी, झुमैलो जैसे नृत्य रातभर चलते हैं। जाजड़ परंपरा की शादी की एक और खास बात है, वो है विदाई। यहां जब विदाई का वक्त आता है तो दुल्हा–दुल्हन के परिवार वाले छत पर खड़े हो जाते हैं और गाना गाने लगते हैं। गाने के जरिये लड़के वाले लड़की पक्ष से कहते हैं कि सेवा में कुछ भूल–चूक हुई हो तो हमें माफ कर देना। वहीं, लड़की के पक्ष वाले कहते हैं… आपने हमारी काफी सेवा की। हमारी लड़की जब आपके घऱ में रहना शुरू करेगी तो आप उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार करें। तो ऐसी है देवभूमि के जौनसार बावर की अनूठी परम्परा
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