Urine Test Detect Cancer प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए जिस तरह एक किट से पता चल जाता है उसी तरह अब कैंसर का पता भी चल जाएगा. यानी लोग प्रेग्नेंसी टेस्ट की तरह यूरिन से कैंसर का पता लगा लगेंगे. बहुत जल्द यह टेस्ट कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला देगा. इसके लिए एक किट से सिंपल यूरिन टेस्ट किया जाएगा और इससे कई प्रकार के कैंसर का पता लगा लिया जाएगा. दरअसल actually प्रेनैनोपार्टिकल किट में यूरिन की एक-दो बूंद डाली जाएगी और कुछ ही सेकेंड में इससे पता चल जाएगा कि कैंसर है या नहीं. यानी इंसान इसे खुद भी टेस्ट कर सकते हैं. यह किट बेहद सस्ती भी होगी.
नैनोपार्टिकल सेंसर से होगी पहचान Urine Test Detect Cancer

ब्रिटिश वेबसाइट मिरर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इसका सेंसर भी प्रेग्नेंसी किट में लगे सेंसर की तरह ही होगा. यह सेंसर कैंसर वाले प्रोटीन को पहचान लेगा. यह सेंसर विभिन्न प्रकार के कैंसर की पहचान कर लेगा. इतना ही नहीं जब इलाज के बाद अगर दोबारा ट्यूमर उभरता है तो इसका भी यह सेंसर पता लगा लेगा. नैनोपार्टिकल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह ट्यूमर की पहचान कर सके और जब डीएनए सीक्वेंस से उत्सर्जन हो तो इसकी भी पहचान हो सके. यह सब यूरिन में मौजूद होता है. इसलिए जब यूरिन सेंसर में आएगा तो सब कुछ पता चल जाएगा.
चूहों पर ट्रायल रहा सफल
चूहों पर इस सेंसर का प्रारंभिक ट्रायल किया गया है जो सफल रहा है. but चूहों पर किए गए ट्रायल में ट्यूमर से निकले पांच अलग-अलग एंजाइम की गतिविधियों का पता लगाया गया है. अब इंसानों पर इसका क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा. इस नैनोपार्टिकल सेंसर को मेसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के इंजीनयरों ने डिजाइन किया है. इससे कई प्रकार के कैंसर प्रोटीन की पहचान हो सकती है. दरअसल actually जब कोई सेल्स कैंसर सेल्स में तब्दील हो जाता है तो वहां से डीएनए का छोटा सीक्वेंस वहां से निकलता है और यह पेशाब के रास्ते उत्सर्जित हो जाता है.
डीएनए सीक्वेंस में कैंसर का बारकोड
एक तरह से इस डीएनए सीक्वेंस में कैंसर का बारकोड छुपा रहता है. जब पेशाब में इसका पता चलेगा तो ट्यूमर के बारे में विस्तार से चीजों के बारे में भी पता चलेगा. एमआईटी में मेडिकल इंजीनियरिंग एंड साइंस एंड इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की बायलॉजिकल इंजीनियर डॉ. संगीता भाटिया ने बताया कि हमलोगों की कोशिश है कि इस सेंसरयुक्त को किट को बेहद सस्ते में लोगों को उपलब्ध कराएं ताकि because गरीब से गरीब लोगों तक इसकी पहुंच हो सके और आसानी से खुद ही लोग प्रेग्नेंसी टेस्ट की तरह कैंसर की भी जांच कर सके.
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