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Waqf Board Corruption उत्तराखंड में लगभग 15 फीसद आबादी अल्पसंख्यक समाज की है और इसमें सबसे बड़ा हिस्सा मुसलमानों का है … ऐसे में मुस्लिम समाज उत्तराखंड की राजनीति में एक अहम किरदार निभाता है। लगभग आधा दर्जन विधानसभा ऐसी है जहां पर मुस्लिम वोट बैंक भाजपा और कांग्रेस के लिए जीत हार तय करते हैं। बावजूद इसके उत्तराखंड में 22 साल बाद भी दोनों ही बड़ी पार्टियों में कोई बड़ा नेता नहीं बन पाया है। कांग्रेस में इक्का-दुक्का मुस्लिम चेहरों को छोड़ दे तो भाजपा में भी कोई साफ़ सुथरा और प्रभावशाली मुस्लिम फेस आज तक प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना पाया है जिसका प्रभाव सीएम ऑफिस में नज़र आता हो।
Waqf Board Corruption शादाब शम्स को वक़्फ़ बोर्ड की अहम ज़िम्मेदारी

- Waqf Board Corruption ऐसे में अल्पसंख्यकों की नुमाइंदगी और उनके मुद्दों की बात क्या होगी इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। गुज़रे लगभग 6 सालों में उत्तराखंड को भाजपा सरकार के द्वारा शासित किया जा रहा है। यहां बीते 6 सालों में तीन मुख्यमंत्रियों ने सत्ता चलाई है। लेकिन अल्पसंख्यक समाज की तरफ किसी ने तवज़्ज़ो ही नहीं दी है । यही वजह है कि उत्तराखंड में माइनॉरिटी से जुड़ी जितनी भी इंस्टीट्यूशंस है उनकी हालत बद से बदतर होती जा रही है। ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार के बजट की कोई कमी है या योजनाओं में कहीं कोई खामी है। लेकिन कमी है उन नेताओं की जो सरकार की योजनाओं और बजट को ईमानदारी से अल्पसंख्यक समाज के भले में लगा सके।

- Waqf Board Corruption अगर आज के हालात की बात की जाए तो उत्तराखंड में सबसे मालदार मुस्लिम इदारा है उत्तराखंड वक़्फ़ बोर्ड ….. जिसकी अरबों रुपये की बेशकीमती सम्पत्तियाँ पूरे उत्तराखंड में भ्रष्टाचार और भू माफियाओं के चंगुल में फसी हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि 22 साल बाद भी इन संपत्तियों में या तो अवैध कब्जे हैं या वह नेताओं के मोटी कमाई की लालच में फंसकर धन उगाही का जरिया बन चुके हैं। अकेले देहरादून , मसूरी , हल्द्वानी , नैनीताल जैसे बड़े शहरों की बात करें तो यहां पर करोड़ों की वक़्फ़ संपत्तियां अवैध कब्जे में फंसी पड़ी है। लेकिन अब तक इस महकमे का जिम्मा संभालने वाले आंखें बंद किए इस खेल को अपने नफे नुकसान के मुताबिक जारी रखे हुए हैं। एक तरफ जहां धामी सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही कर रही है तो वहीं अल्पसंख्यक समाज के उन विभागों की तरफ अभी तक तवज्जो नहीं दी गई है जो भ्रष्टाचार की गर्त में डूबे हुए हैं। फिलहाल अब तेज़तर्रार भाजपा नेता शादाब शम्स को वक़्फ़ बोर्ड की बदहाली को सुधारने की अहम ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है जो बहुत बड़ी चुनौती नज़र आती है।
- Waqf Board Corruption देहरादून के अल्पसंख्यक भवन में बैठने वाले विभागीय अधिकारी और सरकार के द्वारा बिठाए गए जिम्मेदार लोग भी काजल की कोठरी में इत्मीनान से बैठे हैं और समाज अपने हक और हुकूक के लिए धामी सरकार की तरफ ताक रहा है। मुस्लिम समाज के बड़े दानिश्वरों से जब हमने बात की तो उनका कहना था कि उत्तराखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बेहतरीन सरकार चला रहे हैं और उनकी नजर विकास पर दिखती है… ऐसे में अगर वह अल्पसंख्यक समाज की तरक्की की तरफ गंभीरता से प्रयास करें तो बदहाली की इस तस्वीर को बदला जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्य है कि पार्टी में जो भी अल्पसंख्यक चेहरा है वह निजी स्वार्थ और लालच में समाज का भला करने की सोचता ही नहीं है। यही वजह है कि करोड़ों रुपए की वक्फ संपत्तियां होने के बावजूद आज वक्त बोर्ड भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है ना उसका सर्वे कराया जाता है और ना ही उसकी आमदनी का कोई हिसाब किताब रखा जाता है क्योंकि इसका मोटा हिस्सा नेताओं को भेंट चढ़ाई जाती है।

- Waqf Board Corruption इन चुनौतियों के बीच अल्पसंख्यक भवन के बोर्ड दफ्तर में बड़े इत्मीनान और हौसले के साथ नई नई योजनाओं को गिनाते हुए चेयरमैन शादाब शम्स कहते हैं कि पहली बार वो बुलडोज़र खरीदने जा रहे हैं और वो उन भू माफियाओं की आलीशान इमारत पर गरजेगा जो वक़्फ़ जायदादों पर अवैध बनायीं गयी है। इतना ही नहीं मोदी – धामी के सबका साथ सबका विकास के विजन को आगे बढ़ाते हुए न सिर्फ अरबों की खुर्द बुर्द , लापता और कब्ज़े में फसी जायदादों को पाक साफ़ करेंगे बल्कि बोर्ड की आमदनी बढ़ाते हुए पारदर्शी सर्वे भी जल्द कराया जायेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि नए निज़ाम में हालात सुधरेंगे और काजल की कोठरी में उम्मीद की रौशनी नज़र आएगी।
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