Woman Health 40 के बाद महिलाऐ जरूर रखें ध्यान

Woman Health यदि आप अपना 40वां सालगिरह मना रही हैं तो यह ध्यान रहे 40 की उम्र केवल संख्या नहीं है। यह एक महत्वपूर्ण पढ़ाव है, जब हार्मोन में होने वाले उतार- चढ़ाव के कारण अचानक आप कुछ बदलाव महसूस कर सकती हैं (Women’s Health Tips)। ये बदलाव ज्यादातर असहज करने वाले होते हैं।उम्र का 40वां पड़ाव ज्यादातर के लिए प्रीमेनोपोज अवस्था होती है किसी किसी के लिए यह मेनोपोज के कुछ पहले का समय हो सकता है।
इस दौरान ऊर्जा में कमी महसूस होना, मेटाबोलिज्म धीमा होना, मोटापे का जोखिम बढ़ना, मांसपेशियों में कमजोरी, दर्द आदि की समस्या सामान्य तौर पर सामने आती हैं। इसके कारण आपकी दिनचर्या अस्त- व्यस्त हो सकती है, सामान्य कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

कैसे आसान बने आगे का सफर? Woman Health

इस उम्र में आने के बाद अपनी सेहत की संपूर्ण जांच अवश्य कराएं, ताकि सेहत की सही स्थिति का पता चल सके। संभव है आप एनीमिया की शिकार हो गई हॉ, कैल्शियम, विटामिन डी आदि की कमी से जूझ रही हो। इंसुलिन रेजिस्टेंस, प्री-डायबिटिक या थायरायड की शिकार हो सकती हैं। ऐसे ही अनेक समस्याएं हैं जो 40 वर्ष की उम्र तक सामने आने लगती हैं इनका पता चल जाए तो जीवनशैली में उचित बदलाव कर इन पर नियंत्रण पाना कठिन नहीं है।

दरअसल, इस समय सेहत के प्रति सचेत रहने से आने वाले समय में मेनोपोज की चुनौतियों से निपटने में आसानी हो सकती है। बता दें कि मेनोपोज के दौरान एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन में होने वाले उतार-चढ़ाव से एक अलग प्रकार की समस्या सामने होती है।

अनेक चुनौतियों के साथ इस समय मांसपेशियों में कमजोरी और बोन डेंसिटी में कमी आ जाती है। कैल्शियम का ह्रास होने लगता है। समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो मेनोपोजल आस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर जोखिम की शिकार भी हो सकती हैं।

नींद से न हो समझौता
इस उम्र में हार्मोन के कारण होने वाले बदलाव से नींद की गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है। नींद की कमी मोटापा सहित अनेक समस्याओं का जोखिम बढ़ा देता है। ऐसे में स्लीप हाइजीन का पालन करे। अच्छी नींद के लिए सोने के कमरे को शांत स्वच्छ बनाएं। सोने से कुछ समय पहले गुनगुने पानी से स्नान से भी अच्छी नींद पाने में मदद मिलती है।

खानपान में रहे ध्यान
खानपान में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाए। केवल दूध से नहीं बनेगी बात, पनीर, अंडा, सोया मिल्क आदि भी लें।
फाइबर युक्त आहार ले मोटे अनाज, हरी सब्जियां, ताजे फल की मात्रा बढ़ाएं।
रिफाइंड शुगर को बंद कर दें या कम से कम ले।
फ्लेक्स सीड्स यानी अलसी के बीज, नटस का सेवन करे।
प्रीमरोज तेल युक्त कैप्सूल प्रीमेनोपोज के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान
छह माह मे या अधिकतम वर्ष मे एक बार सेहत की जांच अवश्य कराएं।
मेमोग्राम स्क्रीनिंग एक वर्ष या प्रत्येक दो वर्ष में अश्य करा ले ताकि ब्रेस्ट कैंसर का पता चल सके।
पेप स्मीयर्स और एचपीवी टेस्ट कराएं। सर्वाइकल कैंसर की पहचान के लिए इसे तीन से पांच साल के अंतराल में कराए।
कोलेस्ट्रोल व थायरायड की जांच कराएं, ताकि दिल की सेहत व हार्मोन में उतार-चढ़ाव के कारण होने वाले बदलावों का पता चल सके।
बोन डेंसिटी टेस्ट से आगे आस्टियोपोरोसिस के जोखिम का पता चल सकता है।
वजन घटाने या अन्य कारण से इंटरमिटेंट फास्टिंग आदि कार्टिसोल स्तर को बढ़ा सकता है। व्रत में लंबे समय तक भूखे न रहे।
रोज टहलना अच्छा है पर इसके साथ मसल स्ट्रेश ट्रेनिंग करना न भूले। इससे इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है। यह एस्ट्रोजन हार्मोन का संतुलन बेहतर करता है। स्ट्रेथ ट्रेनिंग से मेटाबोलिज्म भी अच्छा रहता है व फैट बर्न करने में मदद मिलती है।