दुर्गा अष्टमी के दिन बन रहे कई शुभ-अशुभ योग

आज यानी 30 सितंबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस तिथि पर मां महागौरी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही कन्या पूजन भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, कन्या पूजन करने से साधक को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। अष्टमी तिथि पर कई अद्भुत योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग के बारे में। तिथि: शुक्ल अष्टमी मास पूर्णिमांत: अश्विन दिन: मंगलवार संवत्: 2082 तिथि: अष्टमी सायं 06 बजकर 06 मिनट तक योग: शोभन 01 बजकर 03 मिनट तक करण: बलव (पूर्ण रात्रि) सूर्योदय और सूर्यास्त का समय सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 13 मिनट पर सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 08 मिनट पर चंद्रमा का उदय: दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर चन्द्रास्त: शाम 11 बजकर 12 मिनट पर सूर्य राशि: कन्या चंद्र राशि: धनु पक्ष: शुक्ल शुभ समय अवधि अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक अमृत काल: 01 अक्टूबर को प्रातः 02 बजकर 56 मिनट से 04 बजकर 40 मिनट तक अशुभ समय अवधि राहुकाल: दोपहर 03 बजकर 09 मिनट से दोपहर 04 बजकर 39 मिनट तक गुलिक काल: दोपहर 12 बजकर 11 बजे से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक यमगण्ड: प्रातः 09 बजकर 12 बजे से प्रातः 10 बजकर 41 बजकर मिनट तक आज का नक्षत्र आज चंद्रदेव मूल नक्षत्र में रहेंगे… मूल नक्षत्र- प्रातः 06 बजकर 17 मिनट तक सामान्य विशेषताएं: क्रोधी, स्थिर मन, अनुशासनप्रिय, आक्रामक, गंभीर व्यक्तित्व, उदार, मिलनसार, दानशील, ईमानदार, कानून का पालन करने वाले, अहंकारी और बुद्धिमान नक्षत्र स्वामी: केतु देव राशि स्वामी: बृहस्पति देव देवता: निरति (विनाश की देवी) प्रतीक: पेड़ की जड़े दुर्गा अष्टमी का धार्मिक महत्व अष्टमी नवरात्र का आठवां दिन है और यह मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना का विशेष दिन माना जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और देवी को फूल, धूप और दीप अर्पित करते हैं। अष्टमी का दिन शक्ति, शुद्धि और समर्पण का प्रतीक है। इसे करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक स्थिरता और संकल्प की वृद्धि होती है। विशेष रूप से कन्या पूजन और हवन-यज्ञ इस दिन अत्यंत शुभ माने जाते हैं। अष्टमी अवधि- अष्टमी तिथि प्रारंभ – 29 सितंबर 2025 को शाम 04 बजकर 31 मिनट तक अष्टमी तिथि समाप्त – 30 सितंबर 2025 को शाम 06 बजकर 06 मिनट तक