BJP Internal Survey बीजेपी का इंटरनल सर्वे 2027 चुनाव से पहले बड़ा भूचाल ला सकता है. बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट कट सकते हैं. अंदरूनी खबर है कि पार्टी के बहुत सारे विधायक जनता से कट चुके हैं कई माननीय ऐसे हैं जो कामकाज में सुस्त हैं और व्यवहार में भी रुखाई दिखाते हैं. हालात ऐसे हैं कि छोटे-छोटे काम तक नहीं हो पा रहे. खनन और ठेकों में गड़बड़ी जैसे आरोप भी बढ़ रहे हैं. पार्टी नेतृत्व अब साफ कर चुका है कि 2027 जीत ही अंतिम लक्ष्य है और इसमें बाधा बनने वाले किसी भी विधायक को साइडलाइन करने में देर नहीं की जाएगी.
टिकट कटने की संभावना , कई होंगे पैदल BJP Internal Survey
पार्टी सूत्रों के मुताबिक BJP अपने मौजूदा 258 विधायकों में से 100–120 का टिकट काट सकती है. 70–80 सीटों पर नए चेहरों की तैयारी है. साथ ही RLD और SBSP जैसे सहयोगियों के लिए भी कुछ सीटें छोड़ी जाएंगी. यानी 2027 चुनाव में कई सीटों पर बीजेपी का चेहरा पूरी तरह बदला हुआ होगा. कई विधायकों पर आरोप है कि वे जनता की समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेते. लोगों से मुलाकात कम करते हैं और व्यवहार में भी नरमी नहीं दिखाते. खनन और ठेकों में गड़बड़ी जैसे मामलों की शिकायतें लखनऊ से दिल्ली तक पहुंच रही हैं. झांसी में BJP विधायक के समर्थकों द्वारा ट्रेन यात्री की पिटाई की घटना तो सीधे RSS के वरिष्ठ नेता की मौजूदगी में हुई, जिससे मामला और गंभीर बन गया.
सर्वे का फॉर्मूला
A कैटेगरी: लोकप्रिय नेता, जिनकी छवि और पकड़ मजबूत है.
B कैटेगरी: औसत परफॉर्मेंस वाले, सुधार की गुंजाइश है.
C कैटेगरी: कमजोर नेता, जिनकी छवि खराब है और जनता से जुड़ाव कम है.
2017 और 2022 चुनाव में भी पार्टी ने कई विधायकों के टिकट काटे थे. उस समय तीन दर्जन से ज्यादा नेताओं को बाहर कर नए चेहरे उतारे गए. इससे बीजेपी को एंटी-इनकम्बेंसी से राहत मिली. यही वजह है कि पार्टी अब और बड़े पैमाने पर यह प्रयोग दोहराने जा रही है.विधायकों के कामकाज, विकास फंड के इस्तेमाल और जनता से जुड़ाव की बारीकी से जांच हो रही है.
विधायकों की धड़कनें बढ़ी
पार्टी के विधायकों में बेचैनी साफ दिख रही है. एक वरिष्ठ विधायक ने माना कि BJP में टिकट कभी पक्का नहीं होता. मेहनत करने के बावजूद सर्वे की रिपोर्ट खराब आई तो टिकट कट सकता है. हालांकि, पार्टी रणनीतिकारों का कहना है कि 2027 में जीत ही सबकुछ है. नए चेहरे उतारने से भी अगर जीत पक्की होती है, तो पुराने को हटाने में झिझक नहीं होगी. 2027 में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच INDIA गठबंधन मजबूत हो सकता है. ऐसे में जातीय समीकरण निर्णायक रहेंगे. बीजेपी जातीय संतुलन को ध्यान में रखकर टिकट बांटेगी. यही वजह है कि हर सीट पर तीन नामों का पैनल बन रहा है और अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा.