Indresh Hospital 20 साल की लड़की के पेट से निकला अजूबा !!

सर्जरी डॉक्टरों की दक्षता का कमाल, मरीज को मिली 13 किलो की गांठ से मुक्ति
मरीज़ को नहीं थी जानकारी कि पेट में है इतनी बड़ी गांठ
Indresh Hospital आपकों सुन कर हैरानी होगी कि डॉक्टर्स कभी कभी वो कामयाबी हासिल कर लेते हैं जो चिकित्सा जगत में भी मिसाल बन जाती है…कुछ ऐसा ही हुआ उत्तराखंड के प्रतिष्ठित अस्पताल इंद्रेश हॉस्पिटल में जहां के अनुभवी डॉक्टर्स चिकित्सा जगत में आए दिन नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते रहते हैं, लेकिन कुछ सफलताएँ ऐसी होती हैं जो डॉक्टरों की दक्षता और समर्पण की मिसाल बन जाती हैं।
13 किलो की गांठ निकाल इंद्रेश अस्पताल ने किया कमाल Indresh Hospital
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल, देहरादून ने हाल ही में ऐसी ही एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के सर्जरी विभाग ने एक अत्यंत जटिल ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए 20 वर्षीय युवती के पेट से 13 किलो 200 ग्राम वजनी विशाल गांठ निकालकर मेडिकल इतिहास में एक नई उपलब्धि दर्ज की है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने सर्जरी विभाग के डाॅक्टरों को इस उपलब्धि पर बधाई दी।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डाॅ. जे.पी. शर्मा और उनकी टीम ने करीब चार घंटे तक चले इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया। मरीज को लंबे समय तक इस गांठ के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और वह सामान्य जीवन जी रही थी। अचानक तेज पेट दर्द की शिकायत होने पर परिजन उसे श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल लेकर आए। प्रारम्भिक जांच में डाॅ. जे.पी. शर्मा ने पाया कि युवती के पेट में असामान्य रूप से बड़ी गांठ है, जिसने शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था। मेडिकल साइंस में इस गांठ को ओवेरियन लार्ज ट्यूमर कहा जाता है।
डाॅ. शर्मा ने मरीज के परिजनों को तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी, क्योंकि यह गांठ कभी भी फटकर मरीज के जीवन को गंभीर संकट में डाल सकती थी। 4 घण्टे तक चले सफल आपरेशन के बाद मरीज़ के पेट से 13 किलो 200 ग्राम वजन की विशाल गाँठ को सफलतापूर्वक निकाला गया। आपरेशन टीम में डाॅ पुनीत त्यागी, डाॅ दिपांकर नयाल, डाॅ पुषकिन पोखरियाल, एनेस्थीसिया विभाग से डाॅ नेहा शामिल रहे। टीम की सामूहिक मेहनत और विशेषज्ञता से यह सर्जरी सफल हुई। ऑपरेशन के बाद मरीज की स्थिति सामान्य है और उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। यह उपलब्धि न केवल श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की चिकित्सा क्षमता को दर्शाती है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि समय पर की गई जांच और सही निर्णय जीवन बचा सकते हैं।