Juna Akhara दुनिया का सबसे बड़ा मेला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगने जा रहा है, जिसे महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है। महाकुंभ का ये पर्व 13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा । जिसमें करीब 60 करोड़ भक्त शामिल होंगे और संगम में डुबकी लगाकर पुण्ण कमाएंगे। इस महाकुंभ में संतों के अलावा कई अखाड़े हिसा ले रहे हैं। इन्हीं में से श्री पंचदशनाम प्राचीन जूना अखाड़ा भी है, जो महाकुंभ की रौनक बड़ा रहा है। जूना अखाड़ा शिव संन्यासी संप्रदाय है। इस संप्रदाय के सात अखाड़े हैं, जिनमें सबसे बड़ा जूना अखाड़ा है। इस अखाड़े का मुख्यालय वाराणसी में है और प्रेम गिरि जी महाराज अध्यक्ष हैं।
जानें जूना अखाड़े का इतिहास Juna Akhara
जूना अखाड़े की स्थापना 1145 में उत्तराखंड के कर्णप्रयाग(चमोली) में हुई थी। (भगवान शंकराचार्य के जन्म के हिसाब से इसकी स्थापना विक्रम संवत् 1202 में मानी जाती है)। हरिद्वार में भी इसकी स्थापना का वर्ष यही बताया जाता है। श्रीपंचदशनाम् जूना अखाड़ा नागा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसे भैरव अखाड़ा भी कहते हैं। इनके ईष्ट देव रुद्रावतार भगवान दत्तात्रेय हैं। जूना अखाड़ा का मुख्यालय केंद्र वाराणसी में बड़ा हनुमान घाट पर है और हरिद्वार में मायादेवी मंदिर पर भी अखाड़े का केंद्र स्थित। नागा संन्यासियों की सबसे अधिक संख्या इसी अखाड़े में है। इस अखाड़े के नागा साधु जब शाही स्नान के लिए बढ़ते हैं, तो मेले में आए श्रद्धालुओं समेत पूरी दुनिया उस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए जहां की तहां रुक जाती है।
संतों ने उठाए थे शस्त्र
जूना अखाड़ा देश का सबसे प्राचीन अखाड़ा है। इसी अखाड़े के साधुओं ने राजाओं के खिलाफ जंग लड़ी। मुगलों से दो-दो हाथ किए। फिर बाद में अंग्रेज भी आए। मध्यकाल में साधुओं ने अपना ग्रुप बनाकर शास्त्रों और शस्त्र दोनों के जरिये युद्ध लड़ा, जिसे गोरिल्ला युद्ध कहा जाता है। एक बार प्रयागराज के महाकुंभ में मुगल बादशाह जंहागीर के आने की खबर थी। उस समय साधुओं ने मिलकर एक छद्म युद्ध लड़ा था। एक साधु ने तो जहांगीर को जाकर कटारी मार दी थी। इसे संन्यासी क्रांति का सबसे ऊंचा स्वरूप माना गया था। जानकार बताते हैं कि जब राजसी व्यवस्थाएं देश की अंखड़ता की रक्षा नहीं कर पा रही थी तो उस हालात में साधु सैनिक बनकर आगे आए। और भारत की क्रांति को जन्म दिया। इसे आजादी की प्रथम क्रांति के रूप में जाना जाता है
जूना अखाड़े में करीब 10 लाख संत
जुना अखाड़ा विश्व का सबसे बड़ा अखाड़ा होने के साथ ही बहुत प्राचीन भी है। इस अखाड़े में जो साधु संन्यासी हैं, उनकी संख्या करीब 5 से 10 लाख है। इस अखाड़े से देश ही नहीं विदेश से भी भक्त जुड़े हुए हैं। अखाड़े के पदों को देखें तो इसमें नागा संन्यासियों के अलावा महामंडलेश्वर, महंत आदि अन्य पदाधिकारियों के पद शामिल हैं। अंग्रेजों के खिलाफ जूना अखाड़ा के संतों ने विद्रोह किया। जंग-ए-आजादी का बिगुल इसी अखाड़े की तरफ से फोड़ा गया। फिर क्या था नागा साधू अंग्रेजों पर काल बनकर टूटे। जानकार बताते हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ पहली क्रांति जूना अखाड़े ने की थी। इसके बाद 1956 में दूसरे अन्य शहरों से लोग सड़क पर आए। उस वक्त क्रांतिकारियों का सहयोग जूना अखाड़ा किया करता था।
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