Kal Bhairav काल भैरव को शिव के गणों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भैरव की उत्पत्ति शिव के रुधिर से हुई थी। काल भैरव के साथ हमेशा एक काला कुत्ता रहता है, जिसे उनका वाहन माना जाता है। काल भैरव और कुत्ते का संबंध धार्मिक, पौराणिक और तांत्रिक दृष्टि से महत्वपूर्ण…. पौराणिक कथाओं के अनुसार भैरव की उत्पत्ति शिव के रुधिर से हुई थी। काल भैरव के साथ हमेशा एक काला कुत्ता रहता है, जिसे उनका वाहन माना जाता है। काल भैरव और कुत्ते का संबंध धार्मिक, पौराणिक और तांत्रिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह संबंध न केवल काल भैरव के उग्र और सुरक्षात्मक रूप को दर्शाता है, बल्कि भक्तों को यह भी बताता है कि वे अपने जीवन में सुरक्षा और शांति कैसे प्राप्त कर सकते हैं। जानिए भगवान शिव के पंचमुखी स्वरूप का रहस्य, उनके हर मुख का है गहरा अर्थ…
काल भैरव शिव के गणों में से एक है Kal Bhairav
कोई भी देवता उस पशु को अपना वाहन चुनता है, जिसमें उसके गुण प्रतीकात्मक रूप से दिखाई देते हों। काल भैरव का स्वरूप भयंकर है और साथ ही कुत्ते को भी एक भयंकर पशु के रूप में देखा जाता है। कुत्ते को न तो अंधेरे से डर लगता है और न ही दुश्मनों से। यदि दुश्मन उग्रता से हमला करता है, तो कुत्ता और भी अधिक क्रोधित हो जाता है। कुत्ते को तीक्ष्ण बुद्धि, अपने मालिक के प्रति समर्पण और सुरक्षा की भावना वाला एक वफादार प्राणी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि कुत्ता बुरी आत्माओं और नकारात्मक ऊर्जा से भी बचाता है। इसलिए काल भैरव के साथ कुत्ते की उपस्थिति उनके रक्षक और संरक्षक रूप को दर्शाती है।
तंत्र शास्त्रों में काल भैरव को विशेष स्थान दिया गया है। काले कुत्ते को काल भैरव का वाहन मानकर उसकी पूजा करने से तांत्रिक क्रियाओं और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है। कुत्ते में सूक्ष्म जगत की आत्माओं को देखने की क्षमता होती है। भैरव को श्मशान का वासी कहा गया है, अतः श्मशान भैरव की कर्मस्थली है। भैरव शरीर का नाश कर आत्मा को मुक्त करते हैं तथा श्मशान में केवल कुत्ते ही पशु के रूप में नजर आते हैं। ऐसी स्थिति में कुत्ता भैरव का साथी बन गया। वह उनकी सवारी नहीं है, बल्कि उनके साथ चलता है। कुत्ते का धार्मिक महत्व है हिंदू मान्यता के अनुसार काले कुत्ते को रोटी खिलाने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति आकस्मिक मृत्यु के भय से दूर रहता है।