देहरादून से आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
Land Law Uttarakhand प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में सशक्त भू कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी मिल गई है। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है।संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कहा कि हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।
नियमों तोडा तो होगी कड़ी कार्रवाई – धामी Land Law Uttarakhand
उत्तराखंड में मौजूदा भू-कानून के मुताबिक नगर निकाय क्षेत्र के बाहर कोई भी व्यक्ति ढाई सौ वर्ग मीटर तक जमीन बिना अनुमति के खरीद सकता है। वहीं, वर्ष 2018 में भूमि खरीद संबंधी नियमों में बदलाव किया गया था। जिसके तहत बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदने की अधिकतम सीमा 12.5 एकड़ को खत्म कर इसकी परमिशन जिलाधिकारी स्तर से देने का प्रावधान किया गया था। इस कानून के लागू होने के बाद बाहरी लोगों के बेहिसाब जमीन खरीदने पर रोक लगेगी और स्थानीय लोगों के हितों को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
नए कानून के प्रभावी होने के बाद बाहरी लोगों द्वारा अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लग जाएगी। जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि का बेहतर प्रबंधन होगा और राज्य के निवासियों को उसका अधिक लाभ मिलेगा। इसके साथ ही भूमि की कीमतों में और अप्राकृतिक बढ़ोतरी पर नियंत्रण रहेगा और राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत होगी। सरकार को खरीद बिक्री पर अधिक नियंत्रण प्राप्त होगा जिससे अनियमितताओं पर भी रोक लग सकेगी।
संसदीय परंपराओं का कहीं भी पालन नहीं हो रहा – यशपाल आर्य
अब इस मामले में नेता विपक्ष यशपाल आर्य की प्रतिक्रया भी सामने आई जो कुछ और ही मोड़ लेती दिख रही है क्योंकि उनके मुताबिक उन्हें समाचार पत्रों से ये पता चला है कि, राज्य की कैबिनेट ने विधानसभा में भू-कानून से संबधित विधेयक लाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में संसदीय परंपराओं का कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। परम्परा यह थी कि, जब राज्य में विधानसभा का सत्र चल रहा हो तो कैबिनेट के फैसलों की ब्रीफिंग भी नहीं होती थी। बकौल आर्या यहां तो विधानसभा का सत्र चल रहा है। भू कानून मामले में विधेयक आएगा या संशोधन विधेयक आएगा और उस विधेयक के महत्वपूर्ण अंश मीडिया को पहले ही लीक कर दिए हैं। पहले ऐसे मामलों को विधानसभा अध्यक्ष संज्ञान में लेते थे। पर अब इस राज्य में विधाई परंपराओं से कोई लेना देना नहीं था।
यशपाल आर्या ने कहा है कि भू- कानून पर प्रतिक्रिया बिल के सदन में पेश होने के बाद देंगे लेकिन समाचार माध्यमों से पता चला है कि, 2018 में कि किए परिवर्तनों को सरकार वापस ले रही है। कांग्रेस ने तब भी परिवर्तनों का विरोध किया था। 2018 में हुए इन परिवर्तनों के बाद राज्य की हजारों एकड़ भूमि बाहरी लोगों को बेच दी गई है। सरकार को श्वेत पत्र लाकर स्थिति साफ करनी चाहिए कि, 2018 से लेकर अब तक राज्य की कितनी जमीन लुटवाई है किसको लुटाई है सरकार सारी जानकारी सार्वजनिक करे जिससे प्रदेश की जनता को पता चले की कैसे विगत वर्षों में राज्य की जमीन कीं कितनी बंदरबाट हुई है और राज्य को उसका क्या लाभ मिला ।